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बात तो समयसार की है परन्तु छः ढाला में भी कहीं बतलाया है कि अजीवों से कोई सम्बंध नहीं है ?
उत्तर=अरे भाई चारों अनुयोगों में यह बात बतलाई है और छ. ढाला में भी :
चेतन को है उपयोग रूप बिनमूरत चिन्मूरत अनूप । पुद्गल नभ धर्म धर्म काल, इनते न्यारी हैजीव चाल । अर्थात् - मेरा काम ज्ञाता दृष्टा है प्रांख नाक शरीर जैसा मूर्तिक आकार नहीं है, चैतन्य प्ररुपी प्रकार है, अनुपम है, पुद्गल नभ धर्म अधर्म काल से जीव की चाल पृथक पृथक है। ऐसा जाने तो धर्म की गुरुप्रात होकर क्रम से वृद्धि करके निर्वाण का पथिक बने ।
प्रश्न (५२) - छह द्रव्यों के समूह को विश्व कहते है इसको जानने से हमें पहला क्या लाभ है ?
उत्तर - केवली भगवान के लघुनंदन बन जाते हैं ।
प्रश्न (८३ ) -- छह द्रव्यों के समूह को विश्व कहते हैं इसको जानने से केवली भगवान के लघुनंदन कैसे बन जाते हैं ?
उत्तर - जैसे हमारी तिजोरी में छह रुपये हैं, हमारे खाते में भी छह रुपये हैं और हमारे ज्ञान में भी छह रुपये हैं; उसी प्रकार केवलज्ञानरुप तिजोरी में छह द्रव्य हैं, जिनवाणी में भी छह द्रव्य भाये हैं और हमने भी