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(१६) परिग्रह से रहित सातवें गुण स्थान से लेकर बारहवें गुणस्थान तक वर्तते हुए शुद्ध उपयोगी प्रात्मध्यानी
मुनि उत्तम अन्तरात्मा हैं। प्रश्न (१८)-मध्यम अन्तरात्मा किसे कहते हैं ? उत्तर-छटे गुणस्थानी भावलिंगी मुनि और दो कषाय के
प्रभावरुप पंचम गुणास्थानी श्रावक मध्यम अन्तरारमा
प्रश्न (१९)- जघन्य अन्तरात्मा किसे कहते हैं ?
उत्तर-वत रहित सम्यग्दृष्टि जीव अनंतानुबंधी के प्रभाव
रुप स्वरुपाचरण चारित्र सहित जघन्य अन्तरात्मा
प्रश्न (२०)-परमात्मा किसे कहते हैं ?
उत्तर-जैसा त्रिकाली स्वभाव है वैसा ही परिपूर्ण शुद्धि का
प्रगट होना वह परमात्मा है। अरहतं और सिद्ध परमात्मा है।
प्रश्न (२१)-जीव एक प्रकार का है पर्याय में तीन प्रकार का
है इतना जानने से क्या लाभ है ? उत्तर-मेरी पर्याय में अनादिकाल से एक एक समय करके
बहिरात्मपना है और मेरा स्वभाव एकरुप पड़ा है ऐसा जानकर अपनी भोर दृष्टि करे तो बहिरात्मा