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( १८१ ) ध्रौव्य लगानो, और क्या लाभ रहा ? उत्तर-ज्ञान का उत्पाद, ज्ञान की पूर्व पर्याय का व्यय, आत्मा
का ज्ञान गुण ध्रौव्य है। घड़ी से ज्ञान हुआ यह बुद्धि उड़
गई। प्रश्न (३३०;-भगवान की बाणी सुनकर सम्यक्त्व हुमा इसमें
उत्पाद व्यय ध्रौव्य लगाओ, और क्या लाभ रहा ? उत्तर-सम्यक्त्व का उत्पाद, मिथ्यात्व का व्यय, प्रात्मा का श्रद्धा
गुण ध्रौव्य है । भगवान की वाणी सुनकर हुआ यह बुद्धि
उड़ गई। प्रश्न (३३१)-मैंने रोटी खाई, इसमें उत्पाद व्यय ध्रौव्य
लगाओ, और क्या लाभ रहा? उत्तर-रोटी खाई का उत्पाद, पहली पर्याय का व्यय, प्राहार
वर्गणा के स्कंध ध्रौव्य है , जीव ने रोटी खाई ऐसी बुद्धि
उड़ गई। प्रश्न (३३२)-धर्म द्रव्य ने मुझे चलाया, इसमें उत्पाद व्यय
ध्रौव्य लगाओ, और क्या लाभ रहा ? उत्तर - मेरे चलने का उत्पाद, स्थिर रूप पर्याय का व्यय, प्रात्मा
का क्रियावती शक्ति गुण ध्रौव्य है। धर्म द्रव्य ने तथा
शरीर ने मुझे चलाया यह बुद्धि उड़ गई। प्रश्न (३३३)-निमित्त नैमित्तिक सुनकर सम्यग्ज्ञान हुआ, इसमें
उत्पाद व्यय ध्रौव्य लगाओ, और क्या लाभ रहा ? उत्तर-सम्यग्ज्ञान का उत्पाद, मिथ्याज्ञान का व्यय,मात्मा का
ज्ञान गुण ध्रौव्य है। सुनकर ज्ञान हुमा यह बुद्धि उड़ गई।