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( १२७ ) प्रश्न (१६)-सीमधर भगवान से कुन्दकुन्द भगवान को विशेष
ज्ञान की प्राप्ति हुई, इसमें पर्याय को कब माना, और
कब महीं माना? उत्तर (१) कुन्दकुन्द भगवान को अपने ज्ञान में विशेष ज्ञान
की प्राप्ति हुई तो पर्याय को माना। (२) सीमंधर भगवान से कुन्दकुन्द भगवान को विशेष ज्ञान
की प्राप्ति हुई, तो पर्याय को नहीं माना। प्रश्न (२०)-सिनेमा देखकर ज्ञान हुआ, इसमें ‘गुणों के कार्य
को पर्याय कहते हैं' कब माना, और कब नहीं माना ? उत्तर- ज्ञान गुण में से ज्ञान आया तो पर्याय को माना और
सिनेमा में से ज्ञान प्राया, तो पर्याय को नहीं माना प्रश्न (२१)-घड़ी देखकर ज्ञान हुआ, इसमें 'गुणो के विशेष
कार्य को पर्याय कहते हैं, कब माना और कब नहीं माना। उत्तर-ज्ञान गुण में से ज्ञान आया, तो पर्याय माना और
घड़ी देखकर ज्ञान हुआ, तो पर्याय को नहीं माना।। प्रश्न (२२)-मैंने रुपया कमाया, इसमें ‘गुणों के कार्य को
पर्याय कहते हैं', कब माना ? और कब नहीं माना ? उत्तर-(१) रुपया तिजोरी में प्राहार वर्गणा की क्रियावती
शक्ति से आया तो पर्याय को माना। (२) मेरे कमाने से प्राया, तो पर्याय को नहीं माना।
प्रश्न (२३)-मैंने मकान बनाया, 'इसमें गुणों के कार्य को पर्याय
कहते हैं, कब माना और कब नहीं माना ?