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( ४७ ) उत्तर-कर्म (परिणाम, कार्य) जिसे दिया अथवा जिसके लिये कर्म किया जाय उसे सम्प्रदान कहते हैं।
प्रश्न १६३-- "सम्प्रदान" शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर-सम् = सम्यक् प्रकार से । प्र=प्रकृष्ट रूप से विशेष रूप से । दान = शुद्धता का दान दिया जावे। अर्थात् सम्यक प्रकार से विशेप करके जो दान अपने को दिया जावे यह सम्प्रदान का अर्थ है।
प्रश्न १६४-सम्प्रदान का अर्थ स्पष्ट समझाइये?
उत्तर-(१) जैसे-लोभ का त्याग जो शुद्धि प्रगटी वह सम्प्रदान है। (२) मिथ्यात्व का अभाव सम्यग्दर्शन प्रगटा, वह सम्प्रदान है। (३) पाँचवें गुणस्थान मे जो शुद्धि प्रगटो वह सम्प्रदान है। (४) छठे गुणस्थान मे जो शुद्धि प्रगटी वह सम्प्रदान है।
प्रश्न १६५-सम्प्रदान कारक को कब माना ?
उत्तर-अपना दान अपने को देवे तव सम्प्रदान कारक को माना जिसका कार्य है, वह उसी को दिया जावे अथवा उसी के लिए किया जाय तो सम्प्रदान कारक को माना ।
प्रश्न १६६-क्या घडा पानी पीने वालों के लिए बना है ? इस वाक्य में सम्प्रदान कारक को कब माना और कब नहीं माना ?
उत्तर-उस समय पर्याय की योग्यता के लिए घडा बना तो सम्प्रदान कारक को माना और पानी पीने वालो के लिए बना तो सम्प्रदान कारक को नही माना।
प्रश्न १६७-सम्प्रदान कारक को जानने से क्या लाभ रहा?
उत्तर-विश्व मे जितने भी कार्य होते है वह सब उसकी उस समय पर्याय की योग्यता के लिए ही होते हैं दूसरो के लिए नही होते है ऐसा माने तो धर्म को प्राप्ति हो।
प्रश्न १६८-क्या रोटी खाने वालो के लिए बनी है ? इस वाक्य मे सम्प्रदान कारक को कब माना और कब नहीं माना ?
उत्तर-प्रश्न १६६ व १६७ के अनुसार उत्तर दो