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( ३६ ) प्रश्न १०८-भावबंध से भावनिर्जरा माने तो क्या दोष आवेगा?
उत्तर-वध और निर्जरा तत्व को एक माना-कर्म कारक को नही माना।
प्रश्न १०६-भाव सवर से भाव निर्जरा माने तो क्या दोष आवेगा?
उत्तर-सवर, निर्जरा तत्व को एक माना-कर्म कारक को नहीं माना।
प्रश्न ११०-रोटी न खाने से निर्जरा न माने तो क्या दोष आवेगा?
उत्तर-अजीव तत्व और निर्जरा तत्व को एक माना-कर्मकारक को नही माना।
प्रश्न १११-बाहरी तप और शुभ भावरूप १२ प्रकार के व्यवहार तप से निर्जरा माने तो क्या दोष आवेगा ?
उत्तर-अजीव, आस्रव, बध और निर्जरा को एक माना-कर्मकारक को नहीं माना।
प्रश्न ११२-भाव निर्जरा तत्व सम्बन्धो भूल कसे मिटे ?
उत्तर-कर्म कारक को मानने से भाव निर्जरा तत्व सम्बन्धी भूल मिटे ।
प्रश्न ११३-भाव निर्जरा तत्व सम्बन्धी भूल कर्म कारक को मानने से कैसे दूर हुई ?
उत्तर-भाव निर्जरा तत्व "उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से" है वह जीव से, अजीव से, आस्रव से, बन्ध से, नही है। देखो कर्म कारक को मानने से निर्जरा तत्व सम्बन्धी भूल मिट गई।
प्रश्न ११४-भाव मोक्ष का कर्ता कौन है ? उत्तर-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण है।