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उत्तर- (१) दूध गिर गयान्वयो गिग ? कर्म कारक को नही माना और दूध अपनी पर्याय की योग्यता में गिरा, तो कर्मकारक को माना । (२) बच्चा भागता - भागता गिर गया, क्यो गिरा ? कर्मकारक को नही माना और बच्चा अपनी पर्याय को योग्यता से गिरा, तो कर्मकारक को माना । ( ३ ) मर गया, क्यो मरा ? कर्मकारक को नहीं माना और अपनी पर्याय की योग्यता से मग, तो कर्मकारक को माना । (४) शरीर मे बीमारी हुई, क्यों हुई ? कर्मकारक को नही माना और बीमारी अपनी की योग्यता से हुई तो कर्मकारक को माना । (५) रोटी जल गजल गई ? कर्म कारक को नहीं माना और अपनी पर्याय को गोग्यता से जल गई, तो कर्म कारक को माना । (६) माल चोरी हो गया, क्यों हुआ? तो कर्मवार को नही माना और चोरी अपनी पर्याय की योग्यता में हुई, तो कर्मकारक को माना । (७) चलते-चलते गिर गया, क्यों गिरा ? तो कर्मकारक को नही माना और अपनी पर्याय की योग्यता से गिरा, तो कर्मकारक को माना । (८) भाषा जीव से निकली कर्मकारक को नहीं माना और भाषा अपनी पर्याय की योग्यता से भापावर्गणा मे से निकली तो कर्मकारक को माना ( 2 ) हाथ ऊँचा जीव ने उठाया तो कर्मकारक को नही माना और हाथ अपनी पर्याय की योग्यता से ऊँचा हुआ तो कर्मकारक को माना । (१०) पुस्तक मैंने उठाई तो कर्मकारक को नही माना और पुस्तक अपनी पर्याय की योग्यता से उठी तो कर्मकारक को माना । ( ११ ) अक्षर मैने लिखे तो कर्मकारक को नही माना और अक्षर अपनी पर्याय की योग्यता से लिखे गये तो कर्मकारक को माना । (१२) मकान मैंने बनाया तो कर्मकारक को नही माना और अपनी पर्याय की योग्यता से बना तो कर्मकारक को माना ।
प्रश्न ७८
- कार्य अपनी-अपनी उस समय पर्याय की योग्यता से ही होता है तो जीव क्यो पागल होता है उत्तर - कर्म कारक का रहस्य पता न होने से पागल होता है ।
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