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उत्तर - आत्मा का श्रद्धा गुण स्वतन्त्रता से क्षायिक सम्यक्त्व रूप परिणमा तो कर्ता कारक को माना और दर्शन मोहनीय के अभाव से क्षायिक सम्यक्त्व हुआ तो कर्ता कारक को नही माना ।
प्रश्न ५३ - श्रद्धागुण स्वन्त्रता से क्षायिक सम्यक्त्व रूप परिणमा । इसमें से स्वतन्त्रता शब्द को निकाल दें, तो क्या नुक्सान होगा ?
उत्तर- श्रद्धा गुण से क्षायिक सम्यक्त्व होवे और दर्शन मोहनीय th अभाव मे से भी क्षायिकसम्यक्त्व होने का प्रसंग उपस्थित होवेगा । इसलिये 'स्वतन्त्रता' शब्द नही निकाला जा सकता है।
प्रश्न ५४ - आत्मा का श्रद्धा गुण क्षायिक सम्यक्त्व रूप परिणमा । ऐसे कर्ता कारक को जानने से किस-किस से दृष्टि हट गई ?
उत्तर - दर्शनमोहनीय के अभाव से, सच्चे देव-गुरु-शास्त्र से, सात तत्वो की भेद रूप श्रद्धा से और आत्मा के श्रद्धा गुण को छोडकर बाकी गुणो से दृष्टि हट गई ।
प्रश्न ५५ - आत्मा का श्रद्धा गुण स्वतन्त्रता से क्षायिक सम्यक्त्व रूप परिणमा, तो कर्ता कारक को माना, इसको जानने से क्या लाभ रहा ?
उत्तर - जैसे- श्रद्धा गुण मे स्वतन्त्रता से क्षायिक सम्यक्त्व हुआ, उसी प्रकार विश्व के प्रत्येक द्रव्य और गुण मे स्वतन्त्रता से परिणमन हो चुका है, हो रहा है और भविष्य मे ऐसा ही होता रहेगा तो पर मे कर्तापने की बुद्धि समाप्त होकर ज्ञाता वृद्धि प्रगट होना यह कर्ता कारक को जानने का लाभ है ।
प्रश्न ५६ -- क्षायिक सम्यक्त्व हुआ इसमे चारो प्रकार के कारको -के नाम बताओ ?
उत्तर - ( १ ) क्षायिकसम्यक्त्व हुआ उस समय पर्याय की योग्यता सच्चा कारक, (२) क्षायोपशमिक सम्यक्त्व का अभाव अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय अभावरूप कारक, (३) श्रद्धा गुण त्रिकालीकारक, (४) दर्शनमोहनीय का अभाव निमित्तकारक |