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को प्राप्ति कर क्रमश मोक्षरूपी लक्ष्मी का नाथ बन जाता है ।
प्रश्न ४३ – कर्ता की परिभाषा मे से "स्वतन्त्रता पूर्वक " शब्द 'निकाल दें, तो क्या दोष आवेगा ?
उत्तर – 'स्वतन्त्रता पूर्वक' शब्द निकालने से दूसरे को भी कर्तापने का प्रसंग उपस्थित होवेगा यह दोष आवेगा । (१) जैसे- रोटी आटे से बनी और वाई से भी बनने का प्रसंग उपस्थित होवेगा । (२) घडा मिट्टी से बने और कुम्हार से भी बने, ऐसा प्रसंग उपस्थित होवेगा । ( ३ ) शब्द भाषा वर्गणा करे और जीव भी करे ऐसा प्रसग उपस्थित होवेगा, इसलिए 'स्वतन्त्रतापूर्वक' शब्द नही निकाला जा
सकता ।
प्रश्न ४४ - कर्ता कितने कहलाते है ?
उत्तर - चार कहलाते हैं, उस समय पर्याय की योग्यता कर्ता, अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय कर्ता, त्रिकाली कर्ता और निमित्त कर्ता ।
प्रश्न ४५ - इन चारो कर्ता मे से कार्य का सच्चा कर्ता कौन है ? उत्तर - वास्तव मे " उस समय पर्याय की योग्यता ही " कार्य का सच्चा कर्ता है |
प्रश्न ४६ - अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय, त्रिकाली कर्ता और निमित्त सच्चे कार्य के कर्ता क्यो नहीं हैं ?
उत्तर- ( १ ) अभाव मे से भाव की उत्पत्ति नही होती इसलिए अनन्तर पूर्व क्षणवर्ती पर्याय कार्य का सच्चा कर्ता नही है । ( २ ) त्रिकाली कर्ता तो सदैव एकसा रहता है यदि त्रिकाली कार्य का सच्चा - कर्ता हो तो कार्य त्रिकाल रहना चाहिए । परन्तु कार्य एक समय का है । विचारो कार्य एक समय का हो और उसका कर्ता त्रिकाली सदैव रहने वाला बने ऐसा नही है । (३) कार्य का कर्ता निमित्त तो होने का प्रश्न ही नही, क्योकि उसका कार्य से द्रव्य-क्षेत्र काल-भाव | पृथक है ।
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