________________ ( 243 ) अर्थ-विक्रम सवत् 1750 के फाल्गुन मास के प्रथम पक्ष मे इस सवाद की रचना की गई है। जय महावीर-जय महावीर मौखिक प्रश्नावली प्रश्न १-केवलज्ञान में लोकालोक के सब पदार्थ जानने में आते हैं। इसमे निमित्त-नमित्तिक क्या है ? प्रश्न २–केवलज्ञान को नैमित्तिक कहे, तो निमित्त कौन है ? प्रश्न ३-लोकालोक को नैमित्तिक कहे, तो निमित्त कौन है ? प्रश्न ४-केवलज्ञान को निमित्त की अपेक्षा क्या कहते हैं ? प्रश्न ५-केवलज्ञान का त्रिकाली उपादान कारण क्या है ? प्रश्न ६-'उपादेय' शब्द कितने अर्थों में प्रयुक्त होता है ? प्रश्न ७-केवलज्ञान को उपादेय क्यो कहा है ? प्रश्न ८-कार्य को निमित्त की अपेक्षा क्या कहते हैं ? प्रश्न :-कार्य को उपादान की अपेक्षा क्या कहते हैं ? प्रश्न १०--मैं जोर-शोर से बोलता हूँ इसमें १००वीं गाथा के चार बोल लगामो? प्रश्न ११-क्या निमित्त-नैमित्तिक एक द्रव्य मे होता है ? प्रश्न १२-क्या उपादान-उपादेय दो द्रव्यो के होता है ? प्रश्न १३-चाई उपादान कारण और रोटी उपादेय। क्या उपापान-उपादेय का ज्ञान ठीक है ?