________________ ( 166 ) (2) क्षेत्र से जीव असंख्यात प्रदेशी-पुद्गल एक प्रदेशो है / (3) जीव अमूर्त है = पुद्गल मूर्त है (4) जीव चेतन है = पुद्गल जड़ है (5) जीव पुद्गल दोनों में क्रियावती तथा वैभाविक शक्ति है / प्र० 63. एक सिद्ध को दूसरे सिद्ध भगवान की अपेक्षा है ऐसा कहें तो? उ० प्रगुरुलघुत्व गुण को नहीं माना। प्र० 64. 'मैं अपने में बसता हूँ' कौन 2 गुण को माना ? उ० वस्तुत्व गुण को माना / प्र० 65. सम्यग्दर्शन होते ही तुरन्त वीतरागता होनी चाहिये, किस गुण का मर्म नहीं जानता ? उ० अगुरुलघुत्व का नही जानता / प्र० 66. ध्रुव रहता हुआ निरन्तर बदलना है कौनसा गुण दृष्टि में आया ? उ० अस्तित्व, द्रव्यत्व गुण दृष्टि में प्राता है / प्र० 67. सीमंधर भगवान की मुद्रा प्रति भव्य है ? उ० प्रदेशत्व गुण प्र० 68. प्रभाव अभावरूप है या मद्भाव रूप है ? उ० सद्भाव रूप है क्योंकि भावों की प्रस्ति है। प्र. 66. सिद्ध भगवान को कितने प्रभाव लग सकते हैं ?