________________ ( 183 ) प्र. 31. अपना कल्याण करने के लिये क्या करना चाहिए ? 70 चार अभाव का रहस्य जानना चाहिये / प्र 32. सबसे पहले कौन 2 से प्रभाव को जानना चाहिये ? उ० वैसे तो चारों को जानना चाहिये / मुख्य रूप से प्रथम अत्यन्ताभाव को फिर अन्योन्याभाव को फिर वाकी को समझकर अपनी ओर सन्मुख होना चाहिए। प्र० 33. च र प्रभावों को समझने से हमारा कल्याण कैसे हो सीधे सादे शब्दों में बतायो ? उ० (1) मैं अात्मा अनंत गुणों का पिण्ड ज्ञायफ स्वभावी हूँ मेरा मेरे इस ज्ञायक स्वभाबी भगवान से, अलग अन न जीव, अनन्तानन्त पुद्गल, धर्म, अधर्म, अाकाश, लोक प्रमाण असंन्यात काल द्रव्य हैं इनसे किसी भी प्रकार का संबंध नहीं है इसलिए हटावो इष्टि अत्यंत भिन्न पदार्थों से, शरीर, मन, वाणी से। (2) जब एक पद्गल की वर्तमान पर्याय दूसरे पुद्गल वर्तमान पर्याय में कुछ नहीं कर सकती है तो पाठ कम मुझे दुःप दंगे या सुख देंगे ऐसी बुद्धि का अभाव हो जाना चाहिये / तो दृष्टि उठावो द्रव्यकर्मों से / (3) अब विचारो पर मे द्रव्य कम से तो संबंध ही नहीं रहा / अपनी प्रात्मा की अोर देखो-तुम्हारी जो वर्तमान पर्याय है उसका भूत पर्याय से कोई संबंध नहीं है / जब वह है ही नहीं तो दृष्टि उठावो पिछली पर्यायों से। (4) भविष्य की पर्याय पाई है नहीं। तो अब तुम अपनी