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पाठ १७
छह समान्य गुणों को एक २ वाव्य पर लगाना .
प्र० १.
मैं मनुष्य है इस पर छान्य गुण लगाओ । प्रत्येक का पूरा २ स्पष्टीकरण करो ? सामान्य गुणों को उल्टे नम्बर से शुरू करो ? उ० विचारियेगा । ध्यान पूर्व रु जब समझ में प्रावेगा । यदि एक वाक्य पर छः सामान्य गुरण लगाने श्रा गये तो जीवन में शान्ति प्राये बिना रहेगी महीं ।
प्र ० २.
ए०
'मैं मनुष्य हूं' इस पर प्रदेशत्व गुग्ण लगाम्रो ?
(१) मैं आत्मा असंख्यात प्रदेशी मेरा प्रकार है । (२) द्रव्यकर्म - प्रनन्त पुद्गल परमाणुत्रों के अनंत प्रकार हैं ( ३ ) तेजस शरीर - अनंत पुद्गल परमाणुत्रों के प्रनन्त श्राकार हैं ।
(४) श्रदारिक शरीर - अनन्त पुद्गल परमाणुओं के अनन्त श्राकार हैं ।
मैं प्रात्म प्रसंख्यात प्रदेशी एक मेरा प्राकार है और द्रव्य, कर्म, तेजस, शरीर, प्रौदारिक शरीर अनंत पुद्गलों के अनन्त प्रकार हैं। यदि मैं अपना प्रकार छोड़कर इन सब रूप हो जाऊं तब तो मैं मनुष्य हूँ, ऐसा कहा जा सकता है । इसलिए जो यह मानता है मैं मनुष्य हूं तो उसने प्रदेशत्व