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एक मात्र ज्ञेय-ज्ञायक संबंध है और किसी प्रकार का संबंध नहीं है ।
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प्र ० २०. कोई संसार के पदार्थों के साथ करने भोगने का संबंध माने तो ? जैसे माता का पुत्र के साथ जैसा संबंध है वैसा ही माने तो ठीक है यदि उल्टा संबंध माने तो निन्दा का पात्र होता है । उसी प्रकार संसार के पदार्थों के साथ ज्ञ ेय-ज्ञायक संबंध है इसके बदले कर्ता-भोक्ता का संबंध माने तो जिनवाणी माता के साथ अनर्थ है और वह निगोद का पात्र है ।
प्र० २१. ज्ञेय-ज्ञायक संबंध किसने माना, किसने नहीं माना ? ज्ञानी ने माना अज्ञानी ने नहीं माना ।
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प्र. २२. प्रमेयत्व गुण रूपी है या अरूपी ? और क्यों ?
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दोनों है। पुद्गल का प्रमेयत्व गुरण रूपी है बाकी के द्रव्यों का अरुपी है ।
प्र ० २३. प्रमेयत्व गुण जड़ है या चेतन है और क्यों ?
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दोनों है । जीव का प्रमेयत्व गुण चेतन है बाकी का जड़ है । प्र. २४. प्रमेयत्व गुण का क्षेत्र कितना बड़ा है और क्यों ?
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जितना द्रव्य का है उतना बड़ा क्षेत्र प्रमेयत्व गुण का है क्योंकि प्रमेयत्व गुण द्रव्य के सम्पूर्ण भागों में पाया जाता है ।
प्र० २५. प्रमेयत्व गुण का काल कितना है और क्यों ?