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( १३० ) (४) ज्ञानी द्यदमस्थ भावभुत ज्ञानी को भी नहीं माना । प्र. १०. प्रमेयत्व गुण को जानने से क्या लाभ है ? उ० सब पापों से छूट जाता है ।
प्र. ११. प्रमेयत्व गुण को जानने से सब पापों से कैसे छूट जाता है ? उ० जो जीव पाप करता है वह यह जानकर करता है कि उसे कोई देखता नहीं है । यदि उसे यह पता लग जावे अरहंत सिद्ध ग्रादि भगवान सब जानते हैं तो वह उन पापों को न करे। प्र. १२. प्रमेयत्व गुण के रहस्य को जानने वाला सब पापों से कैसे छूट
जाता है दृष्टांत देकर समझायो ? उ० एक आदमी ने ५० भैसें खरीदी, उसने दूध निकाल कर जमा करके घी निकाल कर बेचने का काम शुरू किया। घी का भाव बाजार में ८ रुपया सेर, तो वह सात रुपया बेचता। बाजार में लोग जानते हैं कि मिलावट का होता है और इसने तो भंसें रख रक्खी है और एक रुपया सेर कम बेचता है तो उसका घी रोज का रोन सुबह ही बिक जाता । और वह जल्दी हो मालदार हो गया। एक दिन उसका खास रिस्तेदार पाया-अरे भाई तुम घो एक सेर एक रुपये कम में बेचते हो तब तुम इतने मालदार कैसे हो गये। उसने कहा-देखो मुझे सब इमानदार जानते हैं। मैं रोज १ कनस्तर असली घी और ५ कनस्तर नकली घी मिलाकर रात को ख देता हैं वह सुबह ही सब बिक जाता है । इस बात को कोई नहीं जानता । इस तरह से मैं मालदार जल्दी बन गया हूँ।