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कृताशाम्बलिया समर्पित हैं। प्रस्तुत पुस्तक में मुनिश्री ने आद्यमिताक्षर लिखने को पूर्ण अनुकम्पा की है इसके लिए हम उनके चिरकृतज्ञ हैं। पुस्तक के विद्वान् लेखक डा. प्रेमसागर जैन के भी हम आभारी हैं जिन्होंने ऐसी सुन्दर एवं उपयोगी पुस्तक को हमें प्रकाशनार्थ देने कृपा की है। हम डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल को भी धन्यवाद दिए बिना नहीं रह सकते जिनकी देख-रेख में इस पुस्तक का प्रकाशन हो सका।
ज्ञानचन सिन्दूका
प्रबन्धकारिणी कमेटी, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र
श्रीमहावीरजी
994 55 55 55 55
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