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भाषियों के लिए इस प्रन्थ की उपादेयता स्वीकार की है, इसे मैं अपना पुण्याः कर्म मानता हूँ। उनके पावन चरणों में प्राभार तो नहीं श्रद्धा समर्पित करता है। दि० जैन म० क्षेत्र श्रीमहावीरजी के मंत्री श्री ज्ञानचन्दजी खिन्दूका तथा क्षेत्र की धर्म प्रचार एवं प्रकाशन समिति के संयोजक श्री केशरलालजी अजमेरा (स्वर्गीय) ने इसके प्रकाशन में जो तत्परता, जो सद्भाव दिखाया है, वह प्रत्येक प्रकाशक में नहीं मिलता, मैं उनके प्रति अत्तीच आभारी हूँ। डॉ० कस्तूरचन्दजी कासलीवाल की देखभाल में इस ग्रंथ का प्रकाशन हुआ, वे मेरे मित्र हैं। उनके सहयोग के लिए क्या लिखू। वे अपने ही हैं।
दि० जैन कॉलिज, बड़ौत (मेरठ) । दिनांक ७ सितम्बर, १९६६ ।
-डॉ० प्रेमसागर जैन
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