________________
प्रस्तावना
और यतियोंके लिए कुछ दानका वर्णन है। पांचवा लेख शाकम्भरीके चाहमान राजा सोमेश्वरके समयका सन् १९७० का है। इसमे बिजोलियाके पार्श्वनाथ मन्दिरके लिए पृथ्वीराज २ तथा सोमेश्वर-द्वारा दो गांव दान दिये जानेका वर्णन है। इस राजवंशके कोई ३० पीढ़ियोंका वर्णन इस लेख में मिलता है।
मुगल साम्राज्यके तोन लेख इस संग्रहमें है (क्र० ४८१, ५०६, ५१२)। पहला लेख अकबरके समयका सन् १५७१ का है। इसमें महेश्वरके आदिनाथ मन्दिरका जीर्णोद्धार मण्डलोई सुजानराय-द्वारा होनेका वर्णन है। शाहजहाँके राज्यका एक लेख (क्र० ५०६) सन् १६२८ का है। इसमे भी एक जिनमन्दिरके जीर्णोद्धारका वर्णन है। तीसरा लेख सन् १६६२ का - औरंगजेबके समयका है। इसमे राजा जयसिंहके मन्त्री मोहनदास-द्वारा एक मन्दिरके निर्माणका वर्णन है। (आ) दक्षिण भारतके राजवंश
(श्रा १) गंग राजवंश-इस वंशके १३ लेख प्रस्तुत संग्रहमे हैं। इनमें पहला (क्र० २०) राजा अविनोतका एक दानपत्र है जो छठी सदीके पर्धिका है। इसमे यावनिक संघके जिनमन्दिरके लिए राजा-द्वारा कुछ भूमिके दानका वर्णन है। दूसरा लेख (क्र० २४) सातवी सदी के अन्तका शिवकुमार पृथ्वोकोगणिवद्धराजके समयका है। इसमे राजा तथा कुछ अन्य सज्जनों-द्वारा एक जिनमन्दिरके लिए भूमिदानका वर्णन है। तीसरे लेखमे (क्र० ४८) आठवीं सदीके अन्तमे राजा श्रीपुरुष तथा नवीं सदीके प्रारम्भमे राजा शिवमारके समय कुछ अधिकारियो-द्वारा एक जिनमन्दिरके १. पहले संग्रहमें इसके बाद गुजरातके वाघेल और ग्वालियरके तोमर
वंशके कुछ लेख हैं। २. पहले संग्रहमें मुगल राज्यके कई लेख श्वेताम्बर सम्प्रदायके हैं।
एक लेख (क्र० ७०२) दिगम्बर सम्प्रदायका भी है।