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________________ -३३७ ] frofessiण्डे आदिके लेख २७९ ३९५ तिरुनिडंकोण्डे ( मद्रास ) शक १२८३ = सन् १३६१, तमिल [ इस लेखकी तिथि धनु शुक्ल १३ बुधवार, शक १२८३ शुभकृत् संवत्सर ऐसी दी है। इसमें शेम्बादि विल्लवडरैयन् के पुत्र ( नाम लुप्त )द्वारा अप्पाण्डार् मन्दिरमे दीपके लिए भूमि दान दी जानेका उल्लेख है । यह दान गोप्पण्ण उडैयार की प्रेरणासे दिया गया था । लेख अप्पाण्डार् चन्द्रनाथमन्दिरके मण्डपकी दीवालमें लगा है । ] [रि० स० ए० १९३९-४० क्र० ३०३ पृ० ६५ ] ३६६ साविकेरि ( धारवाड, मंसूर ) शक १ ( २ ) ६८ = सन् १३७६, कन्नड [ इस लेखमें मार्गशिर व ० १ (३), बुधवार, शक १ ( २ ) ९८ नल संवत्सर के दिन बाले हल्लिके बेलप्पके समाधिमरणका उल्लेख है । उस समय विजयनगरके वीरबुक्करायका शासन चल रहा था । ] [रि० इ० ए० १९४७-४८ क्र० २३३ पृ० २७ ] ३६७ गेरसोप्पे (मैसूर) शक १३०० = सन् १३७८, कब्रट १ श्रीमत्परमगं मीरस्यादवादामोघलांछनं जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनं (१) श्रीमद्देव २ जिनेन्द्राय तस्मानंतमहात्मने सर्वबोधविशिष्टाय भव्यालिकुमुदेन्दवे (२) तं वंदे देवदेवं सुरुचि
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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