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-२६६] इन्दोर म्युजियमका लेख
१९. नरवर नगरमें वीरजिनमन्दिर बनवाया) - लक्ष्मटके पुत्र मुनीन्दु तथा रामेन्दु- देसलके पुत्र दुद्यक, मोसल, वीगडि, देवस्पर्श, सीयक तथा राहकसीयकने मण्डलकर दुर्ग विभूषित किया और नेमिनाथ मन्दिर बनवाया -- उसकी स्त्रियां नागश्री तथा मामटा - नागश्रीके पुत्र नागदेव, लोलक तथा उज्वल - मामटाके पुत्र महीधर तथा देवधर - उज्वलके दो पुत्र दुर्लभ तथा लक्ष्मण । इनमें सीयकके पुत्र लोलकने यह मन्दिर बनवाया । मन्दिरके निर्माणका वर्णन ८७वें श्लोक तक किया है। कहा है कि लोलक तथा उसकी पत्नियां ललिता, कमलश्री और लक्ष्मी विध्यवल्ली नगरमें थे उस समय घरणेन्द्र ने स्वप्नमे लोलाक श्रेष्ठीको इस मन्दिरके निर्माणका आदेश दिया। तदनुसार जमीन खोदते हुए एक पार्श्वनायमूति मिली और उसके लिए लोलकने यह मन्दिर बनवाया। इस स्थानको वरलाइका तीर्थ कहकर यहाँके कई शिवमन्दिरोंका माहात्म्य भी इस लेखमें दिया है। यहाँके रेवतीकुण्डमे स्नान करनेसे कोढ़ आदि रोग दूर होनेका भी वर्णन है। लोलाकके गुरु जिनचन्द्रसूरि थे। इस लेखकी रचना माथुर संघके महामुनि गुणभद्रने की। इसे केशवने शिलापर लिखा और गोविन्द तथा देल्हणने उत्कीर्ण किया । यह कार्य फाल्गुन कृ० ३ संवत् १२२६ को सम्पन्न हुआ । अन्तमे इस मन्दिरको दानरूपमे प्राप्त कुछ जमीनोंका विवरण दिया है। ]
(ए० ई० २६ पृ० १०२)
इन्दोर म्युजियम ( मध्यप्रदेश )
संवत् १२२७ = सन् १९७१, संस्कृत-नागरी [ इस लेखमे शंख चिह्न है जिससे प्रतीत होता है कि यह नेमिनाथकी मूर्तिका पादपीठ होगा। इसमे देशीगणके गुणचन्द्र, श्रीकीर्ति, रत्नचन्द्र तथा भावचन्द्रका उल्लेख है और गुर्जर जातिके वोन नामक व्यक्तिका भी उल्लेख है । समय संवत् १२२ (७)। ]
[रि० ६० ए० ० ( १९५०-५१ ) १६१ ]