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-२५९] एकसम्बिका लेख
१.५ २५ ..'योल ॥ संगरदोलिरिद वीरमे शृंगारममेक्केवात गोग्गिय
नम्मुत्संगदोल इट्टयदि निलिंपांगनेयर् २६ "(अ)मरावत्तियं ॥ अन्तु तलप्रहारिनायकन मग गोग्गिय
नायक कटकमनान्तिरिदु तुमुल... २७ .. मसान्तरनेनिसिद श्रीवल्लभदेवनग्रपुत्र प्रतापभुजबल सान्तर
मेनिसिद तैलपदेवरु बिदियम्मरसन पुत्र श्रीमतु २८ रु तम्मरसर हेसरलु (?) गोट्टनेन्दु (?) हालुगुड्डेय त्रिमोगा___ भ्यन्तरसिद्धियागि कल्लु नह कारुण्यं गेयदु को होस... २९ वर मने वडि (?) इविन कैयोलगे होद कैय मक्कि (?) ___ सहितमागि कोहरु ॥ मंगल महा श्री श्री
[ यह लेख वैशाख शु० १०, बुधवार, शक १०८४, चित्रभानु संवत्सरके दिन लिखा गया था । पट्टिपोम्बुच्चके सान्तरवंशीय राजा श्रीवल्लभदेवके पुत्र तैलपदेव-द्वारा हालगड्डे ग्राम दान दिये जानेका इसमे उल्लेख है। तलप्रहारि नायकके पुत्र सेनापति गोग्गिको पाण्डयरसके विरुद्ध लड़ते हुए मृत्यु हुई थी। गोग्गिके कुटुम्बियोंको यह ग्राम दान दिया गया था। लेखमे तैलपदेवको पद्मावतीलब्धवरप्रसाद यह विशेषण दिया है तथा गोग्गिको जिनपादशेखर कहा है। तैलपदेवके अधीन मेल. सान्तलिगे प्रदेशके शासक बीररसका भी उल्लेख किया गया है।।
[ए० रि० मै० १९२३ पृ० ७४ ]
एकसम्बि ( वेलगाँव, मैसूर )
शक 1०८७ -सन् ११६५, काड [ यह लेख शिलाहार राजा गण्डरादित्यके पुत्र विजयादित्यके समयका है। रहवशीय कत्तम (कार्तवीर्य) का सेवक मारगौड था। इसकी