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१५० जैनशिलालेख-संग्रह
[ १९३प्रदेशके अंकुलगे तथा बोप्पेयवाड इन दो ग्रामोंका अधिकार अर्पण करनेका उल्लेख इसमें किया है। नोलंबकी वंशावली इस प्रकार थी-होरिम-बीरणकुंदाति - उसका बन्धु नायिम-नोलंब । नोलंबको सम्यक्त्वरत्नाकर तथा पद्मावतीलब्धवरप्रसाद ये विशेषण दिये हैं।]
[ए० ई० २७ पृ० १७६ ]
होले नरसिपुर ( मैसूर ) १२वीं सदी : पूर्वार्ध (सन् १९१५), कन्नड़ [ इस लेख में महामण्डलेश्वर वीर कोंगाल्वदेव-द्वारा मूलसंघ-देसिगणके मेघचन्द्र विद्यके शिष्य प्रभाचन्द्रसिद्धान्तदेवके उपदेशसे सत्यवाक्य जिनालयके निर्माणका तथा उसे हेण्णेगडलु ग्राम दान देनेका उल्लेख है। ( समय लगभग सन् १११५ । )]
[ए० रि० मै० १९१३ पृ० ३३ ]
१६४ करन्दै ( उत्तर अर्काट, मद्रास)
सन् १९१५, तमिल [ यह लेख चोल सम्राट कुलोत्तुंग राजकेसरिवर्मन्के ४५वें वर्ष में लिखा गया था। तिरुप्परम्बूरकी ग्रामसभा-द्वारा तिरुक्काट्टाम्पल्लि आलवार जिनमन्दिरके लिए कुछ भूमि विक्रय किये जानेका इसमें उल्लेख है।
[रि० सा० ए० १९३९-४० क्र. १३५ ]
तिरुप्परुत्तिकुण्डम् (चिंगलपेट, मद्रास )
राज्यवर्ष ४६ = सन् १११६, तमिल [ यह लेख राजकेसरिवर्मन् कुलोत्तुंग चोलके ४६वें राज्यवर्षका है।