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नन्दवादिगेका लेख १८ भूमि कप्पडिय केरेयिं तेंक मम्नेयबोलदल सर्वनमस्य
मसरु ५० ॥ १९ ई धर्ममं स्वधर्मदिं रक्षिसिदवर् वारणासियलु ओन्दु कोटि
कविलेयु
२० मं वेदपालनपं श्राह्मणरिंगे कोट्ट फ (क) मं पडेवर ई धर्ममन
लिदव २१ रा स्थानदोलनितु कविलेयुमननि (तु ) ब्राह्मणर--
२२ सा ॥ सामा[ यह लेख चालुक्य सम्राट् त्रैलोक्यमल्ल ( सोमेश्वर प्रथम) के राज्यकालमे शक ९६९ की चंत्र अमावास्याके दिन लिखा गया था। इस समय अक्कादेवी गोकाग क़िलेके समीप शिविरमें थी। उसने विक्रमपुरके गोणद बेडंगि जिनमन्दिरके लिए मूलसंघ-सेनगण-होगरि गच्छके नागसेन पण्डितको कुछ दान दिया था।]
[ ए० इं० १७ पृ० १२१]
नन्दवाडिगे ( मैसूर )
११वीं सदी-मध्य, कलड [यह लेख चालुल्य सम्राट् त्रैलोक्यमल्लदेवके समयका है। उनकी रानी मैललदेवी थी। उनके एक सामन्त भावनगन्धवारणने कई मठ, मन्दिर, तालाब आदि बनवाये थे जो निम्न स्थानोंपर थे - कल्याण, अपिणगेरे, मुलुगुन्द, ( कोल्वु ) गे, नन्दापुर, कोहल्लि, मण्डलिगेरे, बेल्गलि, बनवासेपुर, करिविडि, नविले, नन्दवाडिगे, पेरूरु । उसने पोन्नगुन्दका त्रिभुवनतिलक जिनालय, महाश्रीमन्त बसदि, पुरगूरका वीरजिनालय, कुन्दरगेका जिनालय आदिका जीर्णोद्धार किया था। उसके द्वारा दिये गये