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________________ गिरनार के लेख TR गिरनार - संस्कृत । [सं० १३०१ = १२३८ ई० ] श्वेताम्बर लेख | f - Revised Lists ant. rem. Bombay ( ASI, XVI ), p. 358, No. 23, t, and tr.] ४६४ हुम्मच; कद-भग्न । [ शक ११०० = १२४८ ई० ] [ पद्मावती मन्दिर में, प्राङ्गण में दूसरे पाषाण पर ] भद्रं भूयाजिनेन्द्रस्य शासनायाध - नाशिने ॥ [ सोमयके पुत्र प्राप्तिका उल्लेख है । ] ... स्वस्ति श्रीमत् स ( श ) क- वर्ष ११७० नेय लवंग-संवत्सरद पुण्यशुद्ध-पञ्चमी- बृहस्पति वारदन्दु श्रीम • सोमयन मग ... वसेन डे वेगडे-त दलिय समुदायमं - सेवितनुमागि व्रतारोपणमं माडिकोण्डु समाधि - विविधिं मृडुपि सुर-लोक प्राप्तनाद मङ्गळ महा श्री श्री मं करदु समस्त ... ... ...... डे वेगडे के लिये एक समाधिमरणपूर्वक सुरलोक [ EC, VIII, Nagar tl. No. 50] ४९५ मलालकेरे, संस्कृत तथा कार । शक ११७०=१२४८ ई० ] [ जै० शि० सं० प्र० मा० 丁
SR No.010112
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1957
Total Pages579
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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