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फडकोलके लेख
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वैशाख-मास-शत-पक्ष-बिदिगे-बृहस्पतिवारदन्दु आहाराभय-भैषज्य-शास्त्र-दाननिरतेयागि सन्यसन-समाधि-विधियिं सुरलोक-माप्तेयादळु ॥ सोयोजन बेस
[शुभकीर्ति-पण्डित-देवकी शिष्या, पेकम-सेट्टिको पुत्री, काम वेका भी वैसा ही स्मारक । सोवोजका कार्य । ] [EC, VIII, Sagar tl., No. 162. ]
४९० कडकोता-काद।
[शक १८= १२३६ ई.] 1 १ ] स्वस्ति श्रीमत्-यादव-रायनारायण बु (भु)जबल-प्र[२] ताप-चक्रवत्ति सिंहणदेव र] वर्ष ३७ परा[३] भव-संवत्सरद मार्गशिर सु (शु)ध(द) पंचमी त्रि(ब)ह[४] स्पति कारदलु सूरस्थगणद मूलसंघद यो नन्दि[५] भट्टारकदेवर गुड्ड कडकुळद सावन्त-बो. [१]प्पगोड हेगडे सोमय्यनु समादि (घि) ई (यि) म् [७] मुडिपि स्वर्ग-प्राप्तनाद [न] [।)
मंगळ-महा-श्री [1] अनुवाद:-स्वस्ति ! यादवोंमेंसे श्रीवाले रायनारायण भुजवल प्रताप-चक्रवर्ती सिंहणदेवके ३७व वर्ष, पराभष-संवत्सरके मार्गशिर (महीने) के शुक्लपक्षकी पंचमी, बृहस्पतिवारको सूरस्थगणके मूलसंघके भीनन्दिभट्टारक देवके शिष्य या अनुयायी; तथा कडकुळ' के सावन्त-बोप्पगौडके हेमाडे सोमय्यने पूर्ण इन्द्रियविरतिकी हालतमें मरणकर स्वर्ग प्राप्त किया। मंगल-महा-श्री।
[IA, XII, P. 100, No. 1. t. and tr.] ..'खरें शिकावेजोंमें यही नाम करकोळ' पाया जाता है। २. मैनेवर।