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अनवेरीके लेख
४५८ अनवेरी, संस्कृत तथा कबद भग्न ।
वर्ष प्रजापति [ १२.ई. (ल. राइस)।] [अनवेग (होळखूरं परगना ) में रंगप्पाके खेत में पड़े हुए पायाणपर ] स्वस्ति श्रीमतु .." यणन्दि-भट्टारक-देवरु अर्हन्त-बोवि-सेट्टि श्री-मूलसंघसुर · गण मार-सेट्टिय मग बिट्टि-सेट्टि धर्मवं ... माडिसिद ... प्रजापति-संवत्सरद चैत्र-शुद्ध १० सोमवार श्रीमतु होय्सण-वीरबहानदेव पृथ्वी-राज्यं गेट्नुत्तिरलु कळु .." तिप्पयने ... ... २० कम्त्र केय्य ... 'पूर्वक माडि भूमि ......
. ... ... ... ... ... ... ... .... लाउछनम् ।
बीयात् त्रैलोक्य-नाथस्य शासनं जिन-शासनम् ॥ ( अन्तिम श्लोक)
[कुछ सेट्टि लोगोंने ( जिनके नाम दिये हैं ), ( उक्त मितिको ),... यनन्दि-भट्टारक-देवको, जब कि होय्सण बीर-बल्लाल-देव दुनियापर शासन कर रहे ये, दान किया। जिन शासनकी प्रशंसा । हमेशाके अन्तिम श्लोक । ] [EC, VII, Shimoga tl., No103.]
४५९ बन्दति-संस्कृत तथा कार-भग्न ।
वर्ष भीमुख [ १२१३ ई. (लू• राइस)।] [बन्दवि में, शान्तीरवर बस्तिके उत्तरकी ओरके द्वितीय पाषाणपर ]
श्री-मूलसंप-बलधौ समुदत्य नित्यम् काणगणोज्ज्वल-सुधाम्भसि लिन्मिणीक-।