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सोर के लेख
मनमत्- प्रतिकृतिनिम् ।
तनु सु-तदिं धनं जिनेन्द्रालयसञ्- ।
जनन - क्रियेविन्दति - पा ।
बनमागिरे नेमि-सेटिट नेगळ्दं जगदोळ् ॥
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अन्तु नेमि- सेट्टि सक-वर्षद [ साविरद ] नूर मूवतेमेय विभव-संवत्सरद जेष्ठ शु १० शुक्रवारदोळ शान्तिनाथ देवर प्रतिष्ठेयं माळूप कालदोळ् कीर्त्ति गावुण्डनं तत्तनून तनळिय महादेव - दण्डनापकनुं, परिवृत मागिरलु देवरष्ट - विधाचर्च्चनेगं ऋषियराहारदानकं कोट्ट गद्दे कम्म ५०
वरद-श्री कण्ठ-प्रति- ।
परिक्किदर् शान्ति- [ जि ] न-गृहाचार्य्यग्गप्- |
इरे योग-पगेयना - 1
दरदिन्दं वज्रपञ्जरमनिक्कुववोलु ॥ यिदु बोग- वट्टिगेयनान्- ।
तुदु मद्-धर्म्मन् दलेन्द-संख्यात-गणा- । त्युदित-यश र प्रतिपालिप- ।
रुदात्तदी - शान्तिनाथ - जन-मन्दिरमम् ॥
[ जिन शासन की प्रशंसा ।
लम्बूद्वीप, उसमें भरतक्षेत्र, उसमें कुन्तण देश, उसमें बनवास - देश |
जिस समय उस तथा समुद्र- परिवेष्टित अन्य देशों का अधिपति यदुकुलके
सळको यह मुख्य क्षेत्र देना चाहता था, सुदत्त मुनिपने पद्मावतीको एक चीतके रूपमें प्रकट करवाया । पद्मावतीको चीतेके रूपमें देखते ही, उन्होंने सलसे
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कहा 'पोय् सल' ( सल, मारो ); जिसपर उसने चीतेको सल ( डण्डे से ) मारा और देवी पद्मावतीको उसके साहसका प्रदर्शन कराया, और इससे राजाका
नाम 'पोरस' पड़ गया ।
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