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जैन - शिलालेख - संग्रह
उदयं-गेय्दनिला-तळ-स्तुत- महादेवं चमूपोत्तमम् || कवि - रिपु गुरु गुरु-रिपु भृगु -। ववरेवरेनल घरित्रि कवि-गुरु- बनतोद्भवमोदवे मन्त्र-गुणमोप्-।
पुवुदु महादेव - दण्डनाथोचमनोळ् ॥
अन्तु कीर्त्ति - गावुण्डं तन्नळिय महादेव - दण्डाधिनाथनं तदपत्यरुं बेरसु ||
समलित-गुण-गुणगणं भी- ।
वल्लभनभिमान - मूर्त्ति कीर्त्ति वधू- धम्- । मिल-विराजित-मल्ली- ।
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फुल्लै श्रेष्ठि- प्रतान-मण्डन भल्लम् ॥ एने नेगळ्द मल्ले - सेटिंग । मनुपम - चरित्र - सीते माचाम्बिकेगम् । अनियिसिदं सुकृतं सञ्- ।
नियिसे निज - कुलके नेमनखळ - ललामम् ॥
नेगळ्दर् ग्गुरुगळ् गुणच्चन्- | -गणि-वक्षसंग (घ) काणूर-गगणदोळ ।
सोगयिसुव नुन्न- वंशदो- 1
सेवररागे नेमन भिजन - रामन् ॥
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पर-हित- मूर्त्ति भव्य-जन- कळप-कुजं विभु नेमि-सेहि बिन्
तरदोळे कूडे जिड बळिगे - नाड एडे-नाडे निसिप्प नाळू गबोळ् । परम - जिनेन्द्र गेहमन ने कमनुद्ध रिसुतमित्तलुद्- |
धरिदिनुत्तरोत्तरमेनलू निज- कीर्त्ति - लता - वितानमम् ॥
कोड कणि-पुर- लक्ष्मिय मेय्- ।
दोडवेनिसिरे नेमि-सेट्टि विभु माडिसिदम् । कडु - गोवि कीर्त्ति-लते दाङ- ।
गुडि विडुविने शान्तिनाथ - जिन-मन्दिरमन् ॥