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अञ्जनेरीके लेख
-अब्जनेरी (नासिक के पास);-संस्कृत -[शक १०६३= ११४२ ई.]
यादववंश शिलालेख (१) ओं पंच परमेष्ठिभ्यो नमः । स्वस्ति श्री शक संवत् १०६३ दुंदुभिसंवत्सरां
तर्मात ज्येष्ठ सुदि पंचदश्यां सोमे अनु(२) राधानक्षत्रे सिद्धयोगे अस्यां संवत्सरमासपक्षदिवसपूर्वायां तिथौ समधिगता
शेषपंचमहाशब्दद्वारावतीपुरपरमे(३) श्वर विष्णुवंशोद्भवयादवकुलकमलकलिकाविकासमास्करयादवनारायण
सामंतपितामह सामंतजमरा इत्यादिममस्त(४) निजराजावलीविराजितमहासामंत श्रीसेउणदेव विजयराज्ये तत्पाद-प्रासादा
वाप्तमहामहत्तमः प्रतापसंतापितवैरिवम्गः (५) संग्रामशौंड ] शूरवैरिघटाविमर्दनकण्ठीरवः अनवरतदानार्दीकृतदक्षिणकर
प्रकोष्ठः निशिनिस्तृश ( निस्त्रिंश) विदारितारा(६) तिकरिकुंभस्थलगलितमुक्ताफलमंडितरणांगण ( रणांगण ) मनस्विनीमानो
न्मूलनकंदर्पः दप्पधिर्मरं (र) हितः सौ (शौ) योदार्यदयादाक्षि(७) ण्यधर्मगुणसत्योत्साह मंत्रशीलसंपन्न [:] प्रचापालनानंदशत्रुपराजयानंतोषित
कीर्तिप्लावितदिग्वलया' अनेकराजनीतिशा
1 इस वाक्य का ठीक अर्थ नहीं निकलता। यदि 'पराजयाम' के बाद 'छ लुप्त हुमा मान लें, तो 'शत्रुपराजयानंदतोषित' ऐसा पाठ होगा और जिसका ठीक अर्थ भी निकलेगा।