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शब्द ये मोच नय हैं। नैवमनय भी व्यवहार में अन्तरभूत हो जाता है यतः चार ही नय हैं। व्यवहार भी सामान्य और विशेष रूप है इसलिए सामान्य और विशेषात्मक संग्रह मौर ऋजुसूत्र में इसका म्रन्तर्भाव हो जाता है। अतः संग्रह, ऋजुसूत्र और शब्द ये तीन नम्र हैं । ये तीन नय भी द्रव्यास्तिक और पर्यायास्तिक में अन्तभूत हो जाते हैं इसलिए द्रव्यास्तिक और पर्यायास्तिक ये दो नय है । इन्हीं को द्रव्यार्थिक ate veforfen प्रथवा निश्चय मौर व्यवहारतय भी कहा जाता है । ये सभी नय ज्ञान और क्रिया में गभित हो जाते हैं । श्रत ज्ञान और क्रिया नामक दो नये हैं । उनमें शाननय ज्ञान को प्रधानता देता है और क्रियानय क्रिया को मुख्य मानता है । वस्तुत पृथक्-पृथक् रूप से सभी नय मिथ्या हैं और ज्ञान तथा क्रिया ये दोनों परस्पर की अपेक्षा से मोक्ष के भंग हैं, इसलिए इस दर्शन में दोनों ही प्रधान हैं। ज्ञान और क्रिया ये दोनों भिन्न-भिन्न विषय के साधक हैं, परन्तु परमार्थत समुदित रूप में पंगु और अंधे के समान अभिप्रेत फल (मोक्ष) देने में सक्षम हैं। इसलिए कहा है
सब्वे सिपि मारण, बहुबिबत्तय्वयं णिसामेत्ता ।
तसवय विसुद्ध जं चरणगुणट्टियो साहू ||
वस्तु अनंत धर्मवान् है प्रतएव कथनाद्धति भी प्रनत होती चाहिए। इसलिए लिखा गया है
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जावया वयरणपहा, तावइया जेव होंति नयवाया ।
अर्थात् जितने वचन पक्ष हैं उतने ही नय प्रकार होते हैं फिर भी आचार्यो ने इन नयो को अधिक से अधिक उक्त रूप से सात भागों में मौर कम से कम दो भागो मे विभाजित किया है। इन सात नयों के संक्षिप्त स्वरूप इस प्रकार हैं
(1) नंगमनय - सामान्यात्मक और विशेषात्मक वस्तु का एक प्रकार से ज्ञान नहीं होना, नैगमनय है । सर्वार्थसिद्धि में संकल्प मात्र को ग्रहण करने वाला गमन बताया है। इसका दूसरा नाम नैकयमः प्रभवा नैकमगमः दिया गया है । इसका अर्थ है कि यह नय किसी एक विषय पर सीमित नहीं रहता, गौरा, सोर प्रधान रूप से धर्म और धर्मी दोनों का विषय-कर्ता है । समस्त पदार्थों में रहने वाली सत्ता को महासामान्य और द्रव्यत्व, जीवत्व आदि में रहने वाली सत्ताको भवान्तरालसामान्य कहा जाता है । यह नय परमाणु श्रादि विशेष पदार्थों के सुखों का भी परिच्छेद रहता है । प्रनुयोगद्वार में इस नय को निलयन, प्रस्थक और प्रवेश इन तीमवृष्टान्तों के माध्यम से समकाया है। धर्म-वर्भी पक गुराखी सा भेद मानमानैगमाभास कहलाता है । इस दृष्टि से नैयायिक-वैशेषिक वीर साय दर्शन नेमाभासी हैं।