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इम कोशों के प्रोडरिकम में प्रबल संत शब्दों पर कोष' का भी उल्लेन बिस्ता मिली बना 4139-419 की। प्राचार्य हेमचन्द्र परि की प्रकियाम चिन्तामणि (152 mins सम्मों को अन्वत किया गया है। इसमें सोविकार किया जा का स्वेस है । उनी के कार्य संबह (1931 लोलो, fegaram मोर लिंगानु भासन (138 श्लोक), जैसे महत्ता को
यो खोस्कतिक सामग्री से भरे हुए हैं। अन्म कोही विनर रिमा शिसॉच (149 लोक), हेमचन्द्र सूरि की व नाममाया (208 ), महाका भनेका पनि मंबरी (224 श्लोक), हर्ष कवि कालिज मिg (230-. इसोक), विश्व सम्भू की एकाक्षर नाममाला (15 सोब), वियत सरि भार माममाला, महेश्वर सूरि कृत विश्व प्रकाश इत्ति, साधुसुदरपलिका रत्नाकर (:011 श्लोक), रामचन्द्र का देम्वनिवेश निषष्ट, विमल तरिका सद समुन्धय, विमल सूरि की देसी नाममाला, पुस्प रत्नपूरि का दबार कोड कवि का नानार्थ कोश, रामचन्द्र का नानार्थ संग्रह, हर्ष कौतिकी नाममाता, भानुचन्द्र का नाम संग्रह कोस, हर्ष कीति सूरि की लघुनाममाला प्रावि संस्कृत जैनकोष जैन साहित्य की पमूल्य निधि हैं। इसी प्रकार प्राकृत शम्ब कोगों में बमपाल त पाय लन्छी नाममाला, हेमचन्द की देवी नाममाला और देश्य सब संग्रह में दामोदर कुत उक्ति व्यक्ति प्रकरण, सुन्दरगणित उक्तिरत्नाकर भी उल्लेसमा कोश ग्रंथ है । प्राचीन हिन्दी में भी कुछ कोश ग्रंथ उपलब्ध हुए है।
___ इस प्राचीन कोश-साहित्य के अप्पमम से हम कोनों को कुछ विशेषणों में, विभाजित कर सकते हैं। उदाहरणतः पुत्पत्ति कोश, पारिभाषिक कोल, बायकोच, व्यक्तिकोष, स्थान कोष, एक भाषा कोन, बहुवावा कोश मादि । सो माध्यम से साहित्म की विधि विधायों एवं उनमें प्रयुक्त विशिष्ट भाकों के माधार पर भाषा वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक इतिहास की संरचना भी की वा सकती है।
पातिक कोसों का प्रारम्भ उन्नीस को मतामी से माना जाता है। बम कोषों की रखवाली का प्राचार पाश्चात्य विद्वानों पराजिलिस मकोड . रहा है। शालीमारी-बीस मतादी में मस पोर न साहित्य समान, विमानों का निर्माण किया है। पावरकों के सिर पर , पोषिता निविवाद कम से तिब हुई है। ऐसे कोल पंपों में हम दिन पान रात कोल, पाइपसहमहान्याय, अर्धमागधी सिरी, मोग सया गेन सालाबली का लेप कर सकते हैं। बहां हम अंग्रेस में बोलायो का मुखांकन करने गाल परेन ।