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मनारह महानि बसत होगा । एकान में बना और या एका विवाह के माध्यम से ही प्रस्थापित हो सकती है बो विकासका हैदोषी या भाषा विस्यक असमाव भी स्वतःसनात होने की। पारिवासीय सम्बन्धों में मान रहेंने यह सोचना भी गलत होगा । तमाव का कोई भी नहीं है। यहाँ को पस्तुतः बन्दुत्वका बामरस होगा 1 पाश किरपुर, स्विीर शिसवी से विवादों का करक हमारे माथे पर मनाइमा है। ऐसे किसानों को समम करने में अन्तर्जातीय विवाह उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। समातिक निकासा में योगा समय अवश्य लग सकता है पर उससे स्थायी कि की मम्मा किसी जा सकती है।
मतः मेरी दृष्टि में तो समाज की सर्वागीण प्रपति के लिए धन संपवानों के बीच विवाह संबन्ध होना मावश्यक है । सांस्कृतिक एकता, मेलरिणक, भाषिक तथा माध्यात्मिक प्रगति के लिए विवाह जैसे तत्व की उपेक्षा अब नहीं की जा सकती है । समाज सेवकों भौर चिंतकों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस विषय पर विषयालंक रूप में चिन्तन करना चाहिए।
___ महिला वर्ग समाज का एक अभिन्न अंग है। जो वस्तु प्रविष्टि होती ससके विकास के लिए समाज का हर वर्ग सामने पा जाता है।बी कारण है कि माज समाज का हर वर्ग महिला समाज के सम्मुत्थान के लिए सबेष्ट है। मे हमे यह बात अच्छी तरह समझ में मा जानी चाहिए कि जबाबमा प्रको मन में विकास की बात नहीं सोचेंगे तब तक कोई कितनी भी लिहम माने नहीं बढ़ सकते । स्वयं की उत्सुकता, ललकता, परिमम, प्रतिमा, स्थान पादि से गुण हर प्रकार के विकास के मूल कारण कहे जा सकते है । समान के निर्माण में 'हमारा त्याम, हमारा बखिकान, हमारा परिमम हमारी सायंका अवतार प्रतिमा इन सभी को जोड़ने का एक सूत्र है। स्थान, परिषद और प्रतिमा की . 'जन समाष के स्वस्थ स्वरूप की संकल्पना के लिए मूल स्वम्ब है पिरमाने बीवन को अवचित करना है।
सारी वर्ग की खपनी सीमाएं होती है जिनकी अपेक्षा नहीं समाती है। पर सीमा के साथ एक सीमता भी ही रहती है और पसीना मातृत्व बलि को पार, पारस्परिक प्रेक भोर मार-मस्तित्व का पल बिशाली। . इस स्टि से सम्मान के निर्माण में हमापवर्ष योजनाव