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[ ★ जैन निवन्ध रत्नावली भाग २
इसके अलावा मूल ग्रन्थ मे शुद्ध पाठ होने पर भी अनुवादकों ने कही कही गलत मास- तिथि नक्षत्र लिख दिये हैं। अत. सहूलियत के लिये पचकल्याणक तिथियो का शुद्ध नकशा भी हम साथ मे दिये देते हैं । इस विषय में एक विशेष ज्ञातव्य बात यह है कि -- महापुराण कार दक्षिणी होते हुए भी उन्होने पंचकल्याणक तिथियाँ दक्षिणी पद्धति से नही देकर सभी उत्तरी पद्धति से ही दी है क्योंकि सभी तीर्थकरो के पाँचो केल्याणक उत्तर प्रान्त मे ही हुए हैं ।