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पचकल्याणक तिथियाँ और नक्षत्र ] [ १७ वे सब उत्तरपुराण के अनुसार ही हैं। और खूबी यह की है कि वर्णन मास-पक्ष तिथियो के अनुक्रम से किया है जिससे लिपिकारो के द्वारा भी कोई गल्ती होने की सम्भावना नही रहती है और न किसी शब्द के विभिन्न अर्थ करने की गुजायश ही।
हाँ कही-कही कल्याणमाला और मुद्रित उत्तर पुराण की तिथियो में भी कुछ भिन्नता दृष्टिगोचर होती है। उस पर भी यहां विचार कर लेना समुचित हैं। दोनो की तिथिभिन्नता निम्न प्रकार है
मुद्रित उतरपुराण
कल्याणमाला
में
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चन्द्रप्रभ का मोक्ष फागुण सुद ७ ज्येष्ठा फागुण बुद ७ धर्मनाथ का गर्भ वैशाख सुद १३ रेवती वैशाख बुद १३ अरनाथ का गर्भ फागुण बुद ३ रेवती फागुण सुद ३ मल्लिनाथ का ज्ञान मगसर सुद ११ पोस बुद २ पार्श्वनाथ का ज्ञान चैत बुद १४ विशाखा चैत बुद ४
इसमे से जो तिथिये कल्याण माला की हैं वे सही हैं। क्योकि जो नक्षत्र ऊपर उत्तर पुराण मे दिये हैं उनकी सगति कल्याण माला की तिथियो के साथ बैठती है, मुद्रित उत्तर पुराण की उक्त तिथियो के साथ नही। अत' उत्तरे पुराण की उक्त तिथियो के प्रतिपादक श्लोक लिपिकारो के प्रमाद से अशुद्ध लिखने मे आ गये हैं। ऐसा ज्ञात होता है। इसमें से शुक्ल कृष्ण पक्ष का अन्तर तो हो जाना आसान ही है । और । जो मल्लिनाथ के ज्ञानकल्याण की तिथि मे अन्तर है वहाँ ।