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पंचकल्याणक तिथियाँ और नक्षत्र ]
ज्ञान कल्याणक
[ १५
सुमतिनाथ -पोस सुद १५ हस्त । विमलनाथ पोस सुद
१० उत्तराषाढ ।
मोक्ष कल्याणक
विमलनाथ - असाढ सुद ८ पूर्वभाद्रपद । मल्लिनाथ फागण बुद ५ भरणी ।
त्रिलोक प्रज्ञप्ति में इनके अलावा और भी तिथि नक्षत्र अनमेल है । जिन्हे लेख विस्तार के भय से यहाँ हम लिखना नही चाहते । उक्त तिथियो के साथ उक्त नक्षत्रो की संगति किसी भी तरह नही बैठ सकती है । अत त्रिलोक प्रज्ञप्ति की ये तिथियाँ और नक्षत्र परस्पर अवश्य ही गलत है इसमे कोई सन्देह नही है । त्रिलोक प्रज्ञप्ति की तिथियो के गलत होने में एक-दूसरा हेतु भी है । वह यह है कि त्रिलोक प्रज्ञप्ति मे श्री मल्लिनाथ स्वामी का दीक्षा लिये बाद छद्मस्थ काल ६ दिन का बताया है । अर्थात् दीक्षा लिये वाद ६ दिन मे उनको केवल ज्ञान हुआ है । किन्तु इसी त्रिलोक प्रज्ञप्ति में मल्लिनाथ की दीक्षा तिथि मगसर सुद ११ की और केवल ज्ञान तिथि फागण बुद वारस की लिखी है । दोनो मे अन्तर ढाई मास का पडता है जबकि अन्तर पडना चाहिए ६ दिन का ही । इसी तरह उनमे लिखा अन्य भी कुछ तीर्थंकरो का यह छद्मस्थकाल उनकी तिथियो के साथ मेल नही खाता है । त्रिलोक प्रज्ञप्ति जैसे प्राचीन ग्रथ का इस प्रकार का पूर्वापर विरोध कथन अवश्य ही चिन्तनीय है ।