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[ * जैन निबन्ध रत्नावली भाग २
रामपुरे का राज्य दिया गया और जयसिंह के बहुत वर्ष राज्य किये बाद ईश्वरसिंह को राजगद्दी मिली। ईश्वरसिंह के बाद माधवसिंह रामपुरे से आकर जयपुर के राजा बने । यह वर्णन बुद्धिविलास मे निम्न प्रकार किया है
भये भूप जयसाहि के पुत्र दोय अभिराम । ईश्वरसिंह भये प्रथम लघु माधवसिंह नाम ।।१६८।। रामपुरी दुर्ग भान को ताको लेके राज । दीनो माधवसिंह को सगि दिये दल साज ॥१६६।। बहुत वर्ष लो राज किय श्री जयसिंह अवनीप । जिनिके पटि बैठे सुदिनि ईश्वरसिंह महीप ॥१७०।। बहुरि पाट बैठे नृपति रामपुरे ते आय । भाई माधवसिंह जू दुर्जन को दुखदाय ||१७३।।
'इस विवरण से जाना जाता है कि जयसिंह के बाद जयपुर मे ईश्वरसिंह ने राज्य किया और उनके बाद माधवसिंह ने राज्य किया। माधवसिंह का राज्यकाल वि० स० १८११ से १८२४ तक का माना जाता है। माधवसिंह के राज्यकाल मे ही टोडरमल्ल जी ने गोम्मटसारादि ग्रन्थो की टीकाये रची हैं। जयसिंह का राज्यकाल वि० स० १७५६ से १८०१ तक का माना जाता है। जबकि गोम्मटसार की पूजा को पडित जी ने जयसिंह के राज्यकाल मे लिखा है तो उनका जन्म स १७६७ मे होना कैसे बन सकता है ? जयसिंह के आखिरी राज्यकाल तक ही जव उनकी उम्र ४ वर्ष की थी तो इस उम्र मे साहित्यिक रचना कैसे हो सकती है ? अत स० १७६७ मे उनका जन्म मानना सरासर असगत है । गोम्मटसार की टीका लिखने से