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दिगम्बर परम्परा में श्रावक-धर्म का स्वरूप ]
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८वीं आरम्भ त्याग प्रतिमा :
जो श्रावक नौकरी, खेती, व्यापारादि ऐसे आजीविकाओ को त्याग देता है जिनसे जीव हिंसा होती हो, वह आरम्भ त्याग माम ८वी प्रतिमा का धारी माना जाता है ।
६वीं परिग्रह त्याग प्रतिमा :
जिसके १० प्रकार के बाह्य परिग्रहो मे ममत्व छूट जाने से जो सतोषपरायण बन गया है ऐसा श्रावक परिग्रह परिमाण व्रत मे जितने परिग्रह का परिमाण कर रखा था उससे भी जिसके विरक्त भाव पैदा हो गये है। इसलिये उनमे से जो अल्प मूल्य के थोडे वस्त्र-पात्रादि रखकर शेष का त्याग कर देता है, वह परिग्रह त्याग प्रतिमा धारी श्रावक माना जाता है।
१०वी अनुमति त्याग प्रतिमा:
___ इस पद का धारी श्रावक आरभ, परिग्रह-ग्रहण, और विवाहादि लौकिक कार्यों को करना तो दूर रहा उनमे अपनी अनुमति भी नहीं देता है । वह ऐसा उदासीन रहता है किपरिवार के लोग इन कार्यों को करो या न करो उन पर उसका कोई लक्ष्य ही नही जाता है। इस प्रतिमा का धारी चैत्यालय मे स्वाध्याय करता हुआ जब मध्याह्न वदना से निपट जाता है उस वक्त बुलाया हुआ जाकर या तो अपने घर मे भोजन करता है या अन्य साधर्मों के घर में भोजन करता है। इस उदिष्ट भोजन को भी जल्दी से जल्दी छोड़ देने की भावना करता रहता है।