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प्रस्तुत 'रत्नावली' भाग २ मे विद्वान् लेखक के उन मौलिक निबन्धो का महान संग्रह है जिसे जैन साहित्य, संस्कृति, इतिहास, सिद्वांत, धर्म और समाज के सम्बन्ध मे प्रामाणिक ज्ञान प्राप्त होता है
इस निवन्ध रत्नावली भाग २ के लेखक स्व०प० मिलापचन्द्र जी कटारिया केकडी (अजमेरराजस्थान) निवासी हैं अपने व्यवसाय में व्यस्त रहते हुए भी ज्ञानकी आराधना मे लग कर इन्होने इन रोचक शोध खोज पूर्ण निवन्धो का प्रणयन किया है. शास्त्रीय अध्ययन मे तुलनात्मक एव आलोचनात्मक पद्धति की प्रमुखता का दिग्दर्शन इनके प्रस्तुत निबन्धों में प्राप्त होता है. इनके निवन्ध जनसाधारण एव विद्वान् दोनो के लिए ज्ञातव्य सामग्री से परिपूर्ण रहते हैं