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१. मेवाडदेशस्थ अहार (अहाड) का जैन गजा जिसका उल्लेख विदग्ग ज और मम्मट के साथ ९९६ ई. के एक अभिलेख में प्राप्त होता है-इमी राजा के प्रश्रय में बनभद्रसूरि ने ९५३ ई० में हस्तिकंडी-गच्छ स्थापित किया था। यह मतपट्ट द्वि. का पुत्र और शक्तिकुमार (९७७ ई.) का पिता था। [टंक.; कैच २७, ३५, ६५; गुच. १७२-३] २. मेवाइ नरेण जिमने चित्तोड मे ८९६ ई० में एक भव्य जैन मानम्तंभ बनवाया था। [कैच. ११४] कार्कन नरेश लोकनाथरस के प्रमुख राज्याधिकारी ने, १३३ ४ ई० में, शान्तिनाथ-बसनि क लिए भूमिदानादि किये थे। मेज.
३६१; माइइ.vii २४७] मल्लामा- विजयनगर नरेश बुक्कराय के अधीनस्थ हल्लनहल्ली के राजा
नरोत्तमश्री की धर्मात्मा माता जिगने १३६८ ई० में समाधिमरण किया था। वह राजा पेरुमनदेव के भाई की पत्नी थी, और श्रुतमुनि (स्वर्ग. १३७२ ई.) की गृहस्थ शिष्या थी। [प्रमुख
२६२; शिम. iii. ५७१] अहहण- धर्मात्मा खण्डेलवाल श्रावक, जिसका पुत्र पापासाहु, पौत्र भूदेव
तथा पद्मनिह, और प्रपोत्र हदेव था, जो प. आशाधर (ल.
१२००.५० ई०) का प्रशंसक एक भक्त था। [मुख २१२] मल्हनसा- दिल्ली के जैन धनकुबेर नट्टलमाहु और कवि श्रीधर (११३२
ई.) का मिथ एवं प्रशंसक। [प्रमुख २०९] भवनिपशेखर श्रीवल्लम- पांडयनरेश, ९वी शती ई०, के समय सित्तनवासल के
जैनगुहामन्दिरों का जीर्णोद्धार हुआ था। [जैशिसं. iv ६२] अवनिमहेन्द्र- जिनधर्मी गंगनरेश शिवकुमार (शिवकुमार नवकाम) का विरुद,
जिसने बानी में एक जिनमन्दिर के लिये चन्द्रसेनाचार्य
को प्रभूत दान दिया था। [जैशिमं iv. : ४] अवन्ति- अवन्ति नगरी का सस्थापक, महावीर कालीन चडप्रद्योत का एक
पूर्वज मालव नरेश । अवन्तिपुत्र- पी. महावीर कालीन मथुरा का एक जिनभक्त नरेश ।
[प्रमुख. २१॥ अवन्तिवर्मन- १ पाटिलपुत्र नरेश व्रात्यन्दि (ई० पू० ४६५) का अपरनाम।
[प्रमुख, ३०]
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष