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अर्कमाम्बा --- या अर्काम्बर, जिनेन्द्र कल्याणाभ्युदय (१३१९ ई०) के कर्ता अय्यपार्य की जननी, जिनभक्त करुणाकर की धर्मपत्नी [बी, i. -१]
सतलखेडी (मंदसौर, म० प्र०) के साह बहव के पुत्र... संघवी द्वारा १४८३ ई० में निर्माणित जिनमंदिर का सूत्रधार । [शिसं. v-२२५]
१. गुजरात का बघेला राजा (ल. १२६१-७४ ई०), जन नरेश, बीसलदेव का उत्तराधिकारी । [ गुच ३१७]
२. १३९८ ई० के शि. ले. में उल्लिखित सिंहणार्य के भक्त एवं गृहस्थ शिष्य राजा । [ जैशिसं । १०५ ]
अर्जुन पांडव - अपरनाम पार्थ, धनञ्जय, सव्यसाची आदि, हस्तिनापुर के कुरुबंशी राजा पांडु और कुन्ती का तृतीय पुत्र कृष्ण का सखा, अद्वितीय धनुर्धर, महाभारत युद्ध का सर्वोपरि वीर योद्धा, अन्त में जैन मुनि के रूप में तपस्या की और आत्मकल्याण किया । [ हरिवंश पु; पांडव पु.; देसाई- २०१]
अर्थन
अर्जुनदेव
अर्जुन मोल- सरतर का भील सरदार, हीरविजयसूरि से अहिंसाणुव्रत लिया, ल. १५७५ ई० । [कैच- २०९]
अर्जुन सूपति- ग्वालियर के कच्छपघटवंशी जैन नरेश विक्रमसिंह (१०५८ ई०) के प्रपितामह, जिन्होंने विद्याधर के लिए युद्ध मे राज्यपाल को मारा था । इनके पिता पांडु श्री युवराज थे, पुत्र अभिमन्यु, पौत्र विजयपाल और प्रपौत्र विक्रमसिंह थे । ये सब जैन राजे थे । [ जैशिस ii- २२८; ए. - १८; प्रमुख. २१२-२१३]
अर्जुन मालाकार (माली)- सी. महावीरकालीन राजगृह का एक अभिशप्त
नृशंस हत्यारा, जिसका कायापलट समता के साधक प्रभुभक्त सुदर्शन सेठ के प्रभाव से हुआ, मुनिलेक्षा लो और आत्मकल्याण किया। [ प्रमुख. २४ ]
अर्जुन वर्मदेव-- धारा का जंनधर्म सहिष्णु परमार नरेश ( १२१०-१५ ई०), विन्ध्यवमं का पौत्र, सुभटवर्मा का पुत्र, विग. जैन महापंडित आशाधर का प्रशंसक, और अमरुशतक को रससंजीवनी टीका का रचयिता । प० आशाधर के पिता सल्लक्षण इस राजा के सन्धिविग्रहिक मन्त्री थे । [ प्रमुख. २११; जैसाइ. १९३३ ; गुच. ११४-११८]
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
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