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दान को तिथि ८९० ई० है । [देसाई. ३९४; प्रमुख. १०७; जंशिसं. iv-६० ]
बेंग के पूर्वी चालुक्य वंश का प्रतापी एवं धर्मात्मा जैन नरेश अम्मराज द्वि. विजयादित्य षष्ठ 'समस्तभुवनाश्रय' ( ९४५-७० ई०), महाराज भीम द्वि और लोकमहादेवी का पुत्र, जिनभक्त तो था ही, शिव और शैवों का भी आदर करता था, उसकी पट्टरानी अय्यन महादेवी थी, और प्रधान सेनापति परम जैन दुर्गराज था । इस नरेश के शासन में आन्ध्र प्रदेश में जिनधर्म अत्युन्नत अवस्था में रहा, अनेक दान दिये गये, अनेक जिनमंदिर बने, अनेक जैन मुनियों का सम्मान हुआ । इसी वंश में एक अम्म या अम्पराज प्र० (९२२-२९ ई०) भी हो चुका था, जो शायद भीम प्र० का पुत्र था। [जैशिसं iv. १००; प्रमुख. ९४-९५; देसाई १६६,१९८; जैशिसं. ii. १४४; भाइ. २९०० २९१; मेजं. २५१-२]
अन्य गावंड - आवलिनाड का जैन महाप्रभु, जिसकी धर्मात्मा पत्नि कालि
अम्मराज----
गाडि ने १४१७ ई० के लगभग समाधिमरण किया था ये पति-पत्नि गुणसेन सिद्धान्त के गृहस्थ शिष्य - शिप्या थे । [मेजे ३३२]
सौराष्ट्र के शक शहरात नहपान (२६-२७ ई०) का जैनमन्त्री । { जैसो. ९०; प्रमुख. ६३-६४ ]
दिल्ली निवासी दिग. जैन, बादशाह मुहम्मद शाह (१७१९-४८ ई०) के कमसरियट विभाग के अधिकारी ने मुहल्ला खजूर की मस्जिद में जिनमंदिर बनवाया था । [टक. ]
अयोध्या प्रसाद- दिल्ली निवासी गर्गगोत्री अग्रवाल दिग. जैन शान्तिलाल के पुत्र, लार्ड के अधीनस्थ एक अधिकारी, बड़े दानशील एवं परोपकारी सज्जन थे । उनके सुपुत्र रायबहादुर प्यारेलाल का स्वर्गवास १९९६ ई० में हुआ। [टंक. ]
अयम---
अयामल----
अयोध्या प्रसाद खजांची- दिल्ली के ला० ईसरी प्रसाद के अनुज, १८७८ में सरकारी खजांची थे । [ प्रमुख. ३६० ]
अय्कन-
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या करिय-अय्कण, होयसल नरेश विष्णुवर्धन के बीर एवं धर्मात्मा जैन सामन्त सोम (सोवेय नायक), जो कलुकणिनाड
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष