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तमिल भाषा में 'कारिगै' नामक प्रसिद्ध छन्दशास्त्र लिखा था, बिसकी टौका गुणसागर ने रची थी। [शिसं. iv. पृ. ३९१]
लेख में नामरूप ममिवसागर दिया है। ममतादेवी- धर्मात्मा महिला, जिसके हितार्थ १६०० ई० में भक्तामरस्तोत्र की
प्रति लिखाई गई थी। [टंक.] अमृतानन्द योगि- ने ल० १२९९ ई० में, ककातीय नरेश प्रतापरुद्रदेव के सामन्त
मम्ब (मन्वगण्ड गोपाल) भूपति के लिए संस्कृत में अलङ्कार संग्रह नामक ग्रन्थ की रचना की थी, दिग.। उस वर्ष के नेल्ल
ताम्रशासन में इस सामन्त का उल्लेख है। अमुमो
खरतरगच्छी संवेगी साध्वी, झवेरश्री की शिष्या, विदुषी एवं प्रगतिशील विचारों वाली, उदयपुर में १९११ ई० में स्वर्गस्थ हुई। [टंक.] कर्णाटक का एक जैन सामन्त राजा, अम्बराजा (अम्बीराय)
और माणिकदेवी का पुत्र, १४२१ ई. के एक दानलेख में उल्लिखित । [शिसं iv. ४३३] क्षेमपुर (गेरसोप्पे) की जैन महारानी भैरवाम्बा का एक पुत्र, महाराज इम्मडिदेवराय एवं भैरव का अनुज और सालुवमल्ल
का अग्रज अम्ब क्षितीश, १५६० ई० । [मेज.३४४ ;प्रमुख.२७५] अम्बट- अर्थणा के ११०९ ई० के जैन शि. ले. के प्रस्तोता धर्मात्मा धन
कुबेर भूषण सेठ के बड़े भाई बाहुक व उनकी पत्नि सीडका का सुलक्षण पुत्र। [प्रमुख. २१८] आम्रभट, गुजरात के चौलुक्य नरेश जयसिंह सिद्धराज (१०९४११४३ ई.) के प्रसिद्ध जैन मन्त्री उदयन का पुत्र, स्वय कुमार पाल (११४३-७४ ई.) का राजमन्त्री एवं प्रचंड सेनानायक । ११७३ में अजयपाल के विद्रोह में मारा गया। [प्रमुख. २३१,
टंक.] अम्बह- ती. महावीर के परमभक्त एक ब्राह्मण पण्डित। [प्रमुख. २८] अम्बवेव- श्वे., नागेन्द्रगच्छी पासडसूरि के शिष्य ने शत्रुजय-उद्धारक
समराशाह पर, १३१४ ई० में, 'संघपति समरारास' (हिन्दी. गुज.) की रचना की थी।
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ऐतिहासिक व्यक्तिकोष