________________
मारादित्य- कर्णाटक राज्य के कुर्म एवं हासन जिलों का भार कोवलनाड
कहलाता था-१० से १२वीं शती पर्यन्त इस प्रदेश पर बोल नरेशों की सन्तति में उत्पन्न कोंगाल्ब-बंशी नरेशों का राज्य रहा । इसवंश के सब राजे व रानियां बावि परम जिनमत थे। इसच में बदटरादित्य उपाधिधारी दो राजा हुए- राजेन्द्र पृथ्वी कोंगाल्व बदटरादित्य प्र० (१०६६-११.. ई.) तथा उसका पुत्र एवं उत्तराधिकारी विनुवनमल्ल-बोल-कोबाल्ब बबटरादित्य हि.। इन नरेजों ने बबटरादित्य- त्यालय अपरनाम कोंगाल्व जिनमूह बादि कई भव्य विनमंदिर बनवाये- कापूरमच्छ के भाचार्य गन्डविमुक्त सिद्धान्तदेव, प्रभाचन्द्र सिद्धान्त प्रभृति कई विग. मुनिराजों को स्वगुरु मानकर उनका सम्मान किया, अन्य अनेक कार्य धर्मप्रभावना के लिए किए । इनके अनेक मन्त्री, राज. पुरुष, अधिकारी, सामन्त बादि भी जैन थे। दे. अटरादित्य । [प्रमुख. १८६-१९८; भाइ. ३३०-१; शिसं... ४९८,५००;
ii. २२४] अदभुत रुग्णराज-चन्द्रावती-आबू का परमारवंशी जैन नरेश, ९६७ ई०, अरण्य
राज का पुत्र, संभवतया कान्हरदेव से अभिन्न है । इसका पुत्र धरणीवराह था। [गुष. १८७,१९८] या बदलरादित्य, होयसल मरसिंहदेव के महासामन्त मलि. नाचिदेव के उपनाम, ११५. ई.- दे. वाचिदेव । [जेशिसं. iii.
३३३] मदिवम- एक प्रचन्ड बोल सेनापति जिसे विष्णुबईन. होयसल और उसके
जैन सेनापति गंगराज ने बुरी तरह पराजित किया था । दे.
मादियम । [शिस । ५३, ९., भू. ९०: प्रमुख. १४३] अधोमुख- पौराणिक नवनारदों में बन्तिम। अम्याडिनावक-या मलेयाल अध्याडिनायक, एक कुशल धनुषर न बोर, जिसने
१२४४ ई. में श्रवणबेलगोलस्व विनयपिरि से चन्द्रागिरि का
अचूक निशाना लगाया था। [वैक्षिसं.i.७४) भगङ्गपाल तोमर-दे. अनंगपास तोमर।
ऐतिहासिक व्यक्तिकोष