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अन्यसदेव
एवं
पूरी साहा की बी ।
मूल स्वामी के समाविवरण के समय भी उसकी
[अयुब ७८ ]
- मारवाड़ निवासी धूमसंची मे १४०६ ई० मे अबजवेअमोल में जाकर एक नितिमा प्रतिष्ठित कराई थी ।
[मे. ३२५३३२; एक. १०२] के उतर मकोट जिले के करन्दे स्थान की विनासन के गोपुर का योगद्वार २०४८ [iv५१९]
मुनिमिर के कुन्युना ६० में कराया था। मे उड़ीसा की सम्बगिरि की छोटी हामीगुफा, ई० पू० प्रथमशती में, चैनमुनियों के लिए एक मैच बनवायी थी ।
अभ्यषि या जन्मसदेव, जो भुतकीर्ति ये, और जिन्होंने ११८९ ई० में कम की रचना की थी वह कवि और उनका उक्त काव्य बनेक परवर्ती विद्वानों द्वारा प्रशंसित हुए ।
[जैसा ११० पु. १०३ : ककच . ] चालुक्य सम्राट सोमेश्वर प्र. एवं वि. के महाप्रधान धन सेनापति बलदेव के पिता, गंगवंशी सामन्त । [जैधिस. iv १३८, १४३] मनसे- के पुत्र शान्तिसेट्टी ने समाधिमरण क्रिया का में. १२-१३ ती । „[#fmg iv {••] बाठवीती में जीर्णोद्धारित आन्ध्रप्रदेश के एक प्रसिद्ध विनालय का मूल निर्माता । [#fir iv. vs]
मणि- ती. महावीर के द्वितीय पचवर । [पठीशती ई० पू०] विनीय हरिवंश पुराण (सर्व ६०) में प्रदत्त राज्यवंशाक्सी के अनुसार बयम्ती का शासक, वसुमित्र-सह (स. २री बनी ई० पू० ) [जैसी. २६-०]
पतापुर के महापौर वक्त पी कुम्हार शब्दासपुत्र की पर्यायापरी । [२३]
ऐतिहासिक व्यक्तिकोन
[शि v ११] विद्यमर्ती के विष्य ग्रन्थ 'चन्दनचरित'
२४ पौराणिक कामेदेवों में बी (चीन मोदक
ये कामदेव ।
) का प्रमुख, जिसे विनम्राचार्य
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