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२. बकालवण पुस्तुर (८७९-९१४.)- यह नरेश नपा।
(#fare iv vu) ३. बकालवर्ष कष्ण ili सुनतुंग (९३९.६७ ६.) यह भी बन पा। [भाइ २९४-३.८ प्रमुख ९८-१.८ विसं iv..] दे.बकमल। १. महाभारतकालीन यदुवंती बीर, कृष्ण का बाम्बव, ती.
नेमिनाप का भक्ता २. मगमनरेश श्रेणिक बिम्बसार (ल. ..पू.) का
एक पुत्र, ती. महावीर का भक्त। [प्रमुख १५] मनीति- एक विष मुनि जिन्होंने मदुरा से वाकर बवणबेलगोल की
चन्द्रागिरिपर शापवा सर्प से उसे पाकर, समाधिमरण किया था। उसका यह स्मारक लेख पल्लवाचारि ने लिखा था ।
[शिसं । १५-] मेवार-उद्धारक सुप्रसिद्ध भामाशाह का पौत्र, जीवाशाह का पुत्र, मेवाड़ के राणा कर्णसिंह का बोर तदनंतर राणा जगतसिंह का प्रधान दीवान रहा, कुशल सेनानायक और वीर योद्धा भी था।
[प्रमु ३०२-३.३] या अखपराम, दि० गृहस्थ पंरित, मंडलाचार्य विषानंदि (सूरत के मटारक) के शिष्य ने जयपुर नरेश जयसिंह के सूबा गुजरात में नियुक्त मुख्यमन्त्री श्रावक ताराचा के चतुर्दशी प्रतोद्यापन के उपलक्ष्य में १७४३. की चैत्र शु. ५ को चतुर्कीवतीचापन विधि-पूजा. जयमाल आदि सहित पकर पूर्ण की थी। महेन्द्रकीर्ति की जकड़ी भी इन्हीं की कृति है।
[प्रवी। २०;प्रमुख ३१८ च ४६] नमक- विवेकमंजरी (हि.) के कर्ता। बसवता -जोधपुर नरेश मानसिंह (१८०३-४३.)का अत्यन्त शक्तिशाली
बोसवाल दीवान, राज्य में प्राय: सर्वेसर्वापा. १८१७६० में राज्य के साथ ईस्ट इंडिया कम्पनी की दिल्ली-संधि का विरोध किया, राजा भी भयसाता पा, किन्तु अन्ततः राजा ने इस दीवान को
विषपान द्वारा मरवा गला दीवान ने १५०५०में बालौर में निहासिक पतिकोष