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वनवास, वकील
दिग०, गोयलनोत्रीय भग्रवाल, सा० सूरजभान के सुपुत्र, सा० मनूलाल जंग बैंकर के अग्रण, १८९६ में बी. ए. और १८९९ में वकालत पास की, अंग्रेजी में इनवाइट इन्ट् जेनिज्म लिखी तथा परमात्म प्रकाश मोर पुरुषार्थसिद्धयुपाय के अंग्रेजी अनुवाद किये, जैनधर्म में परमात्मा, अहिंसा, जैनधर्म का महत्व, वर्ण व्यवस्था, जैन फिलासफी आदि कई पुस्तकें हिन्दी और उर्दू में लिखी, पं० टोडरमल कृत मोक्ष मार्ग प्रकाश का सरल भावातरण हिन्दी और उर्दू में छपवाया, जैनगजट (अंग्रेजी), जैनगजट (हिन्दी), जैमप्रदीप (उर्दू). चैनमित्र, जैन जमत बादि पत्रों में तीनों भाषाओं के सैकड़ों लेख छपे, १९११ ई० में मेरठ जैन बोरिंग हाउस के संस्थापकों में से थे और जीवन पर्यन्त उसके मन्त्री रहे, ऋषभ ब्रह्मचर्याश्रम हस्तिनापुर, भारत बनमहामंडल, म० भा० दिन जैन परिषद, दि० जैन महासभा नादि से सक्रिय रूप से सम्बद्ध रहे, समाजसेवी, सुधारक, शिक्षा प्रचारक, शान्त प्रकृति के सज्जन थे । जन्म मेरठ १८७१ ६०, स्वर्गवास मेरठ २४ मई १९३० ६० ।
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ए० चक्रवर्ती नयनार, प्रो०-- तमिल, प्राकृत, संस्कृत और अंग्रेजी के सुज्ञाता
एवं विद्वान सुलेखक, पंचास्तिकायसार आदि जैन महाग्रम्थों के
सफल अंग्रेजी अनुवादक और सम्पादक तथा तमिल जैन साहित्य के सुप्रसिद्ध अन्वेषक | राम्रो बहादुर की उपाधि से विभूषित महास में प्रोफेसर, बाई० ई० एस० के सदस्य । १२ फरवरी, १९९० को निधन ।
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ए० बी० लट्ठे, दीवान बहादुर
महाराष्ट्र प्रदेश के प्रबुद्ध जैन जन-नेता थे । अंग्रेजी शासन में उसति करके उन्होंने दीवान बहादुर की उपाधि पायी तो देव-सेवा एवं कांग्रेस आन्दोलन में भाग लेकर बम्बई राज्य के प्रथम मन्त्रिमण्डल में सम्मिलित हुए। जैनधर्म पर अंग्रेजी में कुछ पुस्तकें भी उन्होंने सिकीं । [ प्रमुख ऐति, पू. ३६४]
ऐतिहासिक व्यक्तिको