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इडिसावर- श्वे., स. १५.०, 'निर्णय-प्रभाकर' नामक वानिक बन्ध
के रचयिता। ऋषभदेव, ऋषभनाष, वृषमनाव, पुरुदेव, मादिदेव बाविनाय, इक्वाकु, केसी, महादेव, मजापति, स्वयंभू मादि अनेक नामांतर, अन्तिम मनु, प्रथम तीर्थकर, पिता १४ कुसकर नाभिराय, जननी मरदेवी, पत्नियां सुनन्दा एवं सुमंगला, पुत्र भरतचक्रवर्ती बाहुबलि, वृषभवेन बादि १.०, पुत्रियां ब्राह्मी और सुन्दरी, प्रवानगणषर वृषमसेन, लांछन वृषभ, मम्मस्थान अयोध्या, केबलमानस्थल प्रयाग का अक्षयवट, निर्वाणस्थल कैलासपर्वत, कर्मभूमि एवं कर्मयुग के प्रस्तोता, धर्म और मोक्षमार्ग के, वर्तमान कल्पकाल में, मा प्रतिपादक एवं प्रदर्भक, छः-सात सहस्त्रवर्ष पूर्व की सिन्धुपाटी सभ्यता में पूषित, ऋग्वेदादि वेदों में तथा श्रीमद्भागवत आदि ब्राह्मणीय पुराणों में स्मृत एवं उल्लिखित, -आचार्य जिनसेनादिकृत जैन महापुराणों में इनका चरित्र विस्तार के साथ पणित है। [भाइ. २३-२८] राजगही का महावीर कालीन प्रसिद्ध नसेठ, मन्तिमकेवलि बम्यूकुमार का पिता। [प्रमुख, २६] है. आगरा निवासी अकबरकालीन गंगोत्री अग्रवाल दिगन धर्मात्मा टोडर साह के ज्येष्ठ पुत्र माहु ऋषभदास । [प्रमुख. २८५] २. खंभात निवासी संघवी सांगण के पुत्र, श्वे. कवि, गुजराती भाषा में १६१५. में कुमारपालरास की बोर १६२८ ई. में हीरविजयसूरि रास की रचना की थी। ३. मुमतान नगर के वर्षमान नवलखा (१९५०.९० १०) की मुमुल गोष्ठी के एक प्रमुख सदस्य । [प्रमुख. २९१] ४. ५० दौलतराम कासमीपाल के समकालीन बागरा के एक दि. जैन पंडित ल. १७३० ई.। (प्रमुख. ३१८] ५. बाचार्य देवेन्द्र भूषण के शिष्य प. ऋषभदास १६६७ ई.। [कास. २०४] ६. पं. ऋषभदास निमोत्या. दिग., जयपुर निवासी खंडेलवाल ने १८३१ ई. में पं० नन्दलाल बावड़ा के सहयोग से प्राकृतग्रन्थ
ऐतिहासिकम्पत्तिकोश
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