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खोतकेसरी ललाटे- कलिग (उड़ीसा) सोमवंशी प्रसिद्ध जैन नरेश,
१०वी-११वीं शती ई०, देशीगण के आचार्य कुलचन्द्र के शिष्य मल्ल शुषचन्द्र का भक्त एवं गृहस्थ शिष्य था। उसके राज्य के ५ से १८वें वर्ष पर्यंत के कई शि. ले. मिले हैं, जिनसे विदित है कि उसने कुमारापर्वत के प्राचीन जिनग्रहामंदिरों का जीणोद्धार कराया था, नवीन गुफाबों यथा ललाटेग्दुगुफा अनेक तीर्थकर प्रतिमाओं का भी निर्माण कराया था। [प्रमुख.
२२१; भाइ. १९४; जैशिसं. iv. ९३-९५; गुत्र. ६३-६४] ज्योतम- कुबलयमाला के कर्ता उद्योतनसूरि के पितामह, महाद्वार के
चन्द्रवंशी जैन नरेश। [जैसो. १९२] उचोतमसरि- अपरनाम दाक्षिण्यांक सूरिया दाक्षिण्य-चिन्ह ने गुर्जर प्रतिहार
वत्सराज के राज्य में जाबालिपुर (जालौर, मारवाड़) के रविभद्र द्वारा निर्मापित ऋषभदेव-जिनालय में, ७७८ ई. में, रोचक प्राकृत कपा कुवलयमाला की रचना की थी। यह महाद्वार के चन्द्रवंशीराजा उद्योतन के पौत्र और सम्प्रति अपरनाम वेदसार के पुत्र थे। इनके दीक्षागुरु तत्त्वाचाय थे, सिद्धान्तशास्त्र के गुरु वीरभद्र और न्यायशास्त्र के गुरु हरिभद्रसूरि थे। [सो.
१९२-१९५; प्रमुख. २०३] अपकल्कि- महावीर निर्वाण के ५०० वर्ष पश्चात होने वाला धर्मविध्वसक
अत्याचारी राजा-अत: उपकल्कि प्रथम ईस्वी सन् के प्रारंभ के लगभग हुआ, तदनन्तर द्वितीय उपकल्कि १०वीं-११वीं पाती
ई० में, तृतीय २०वीं शती ई. में। [सो. ३२-३३] उपवासपर गुरु- स्तूपान्बय के वृषमनन्दि मुनि के अन्तेवासी (शिष्य) ने,
ल.७..ई. में, कटवा पर्वत (श्रवणबेनस्य) पर समाधिमरण
किया था। शिसं.i. १८९] उपनिक- महावीर कालीन मगधनरेश श्रेणिक बिम्बसार का पिता, अपर.
नाम प्रसेनजित एवं भट्टि। [प्रमुख.१४] उपाध्ये, ग. ए. एम.- दे. आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये ।
अपरनाम कृष्ण और गजराज ने ९वीं शती ई.के उत्तरार्ष में मालवदेश की पारानगरी में परमार वंश एवं राज्य की स्थापना
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ऐतिहासिक व्यक्तिकोश