________________
( w)' बीसीसीमावि सेवक', पुमाल गौर पर भावानफल का प्रयोग मन्याम के अन्तर्गत किया है।
• लॉप-एक फल विशेष । पूजाकाव्य में गवारीं शती के कवि चामतराप प्रणीत भी सरलीजा", मी रत्नभयपूजा' मानक पूजामों में यह फल, व्यवहत है । उनीसवीं शती के पूजाकवि पमा विरचित 'श्री पदमप्र जिनपूणा", बी सुपावनाववियूला", श्री शीतलनानिनपूजा और श्री सम्मेदशिवरपूजा नामकातिरों में लॉग फल प्रष्टव्य है।
बीसी माती के हीराद", पूरणमल" और रसुत मे लोग का व्यवहार मर्य-सामग्री के लिए किया है। १. श्रीफल और बादाम सुपारी,
केला बादि छहारा ल्याय।
-श्री मादिनाथ जिनपूजा, सेवक, जैनपूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ६६ । २. श्रीफल पिस्ता सुबदाम, बाम नारंगि घई।।
-श्रीणगिरिक्षेत्रपूजा, जैनपूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १५६ । ३. श्री पांदन गांव महावीरस्वामी पूजा, पूरणमल, जनपूजापाठ संग्रह १६० । ४. श्री सरस्वतीपूजा, चामतराय, राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ३७६ । ५. फल शोभा अधिकार, लोंग छुहारे जायफल ।
-श्री रत्नत्रयपूजा, जनपूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ७० । ६. श्रीफन लोंग बदाम सुपारी, एला बादि मंगाबें ।
-श्री पद्मप्रभुजिनपूजा, रामचंद्र, पविशति जिनपूजा, नेमीचंद वाकली.
बाल, पृष्ठ ५५। ७. श्री सुपाश्र्वनाथविनपूजा, रामचंद्र, चतुरितिजिनपूजा, नेमीचंद ' वाकलीवाल, पृष्ठ ६२। ८. फल लेहि उत्तम मिष्ट मोहम, सोंग श्रीफल आदि ही।
-श्री शीतलनाथ जिनपूजा, रामचंद्र, चतुर्विशति जिमपूबा, नेमीचंद ' बाकलीवाल, पृष्ठ ६८। ६. बादाम श्रीफल लोग पिस्ता मेय सुख सम्हालही।
-श्री सम्मेदशिवरपूषा, रामचंद्र, जनपूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १२० । १०. लोंब छिवारा भेंट चढ़ाऊँ, मोक्ष मिलन के काणा।
-श्री चतुर्विशति तीर्थकर समुच्चय पूजा, हीराचंद, नित्य नियम विशेष
पूजन संग्रह, पृष्ठ ७१। ११. श्री चांदन गांव महावीर स्वामी पूजा, पूरणमल, जनपूधापासंग्रह, पृष्ठ
१६०। १२. लोब मावची श्रीकलसार, पूजों श्री मुनि सुखदातार। .
-श्री विष्णकुमार महामुनि पूजा, रघुरत, बनपूजापाठसंग्रह, पृष्ठ १७४ ।