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' और सनदास द्वारा रचित
मधु-सामग्री के लिए हुआ है।
काव्य में नारियल का प्रयोग
नारंगी-- यह मम्ल जाति का फल विशेष है। विवेच्य काव्य में उत्ती शती के कवि मनरंगलाल रचित 'भो मेयांसनाथ जिनपूजा" मी बासुं जिमका में नारंगी फल का व्यवहार हुआ है। बीसवीं शती के हीराचंद, मुनालाल और भगवानवास' प्रचीत पूजाओं में मयं सामग्री के लिए नारंगी फल का प्रयोग हुआ है ।
मी - नारंगी को भांति यह भी अम्ल जाति का फल है। इस फल को बिजोर", वातशत्रु', निम्बु भी कहते हैं। उन्नीसवीं शती के मनरंगलाल रचित 'श्री पद्मप्रभुजिनपूजा" श्री मेयांसनाथजिना" श्री धर्मनाथजनपूजा भ
१. श्री विष्णुकुमार महामुनि पूजा, रघुसुत, जैनपूजापाठ संग्रह, पृष्ठ १७४ | २. *मुखदाख बदाम अनारला,
नरंगनीहि मामहि श्रीफला ।
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- श्री तत्वार्थसूत्र पूजा, भगवानदास, जैनपूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ४११ । ३. मधुर मधुर पाके आम्र निम्बू नरंगी ।
- श्री श्रेयांसनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयश, पृष्ठ ८१ । ४. श्री वासुपूज्य जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थयज्ञ, पृष्ठ ८७ । ५. श्री फल केला बाम नरंगी, पक्के फल सब ताजा ।
-श्री चतुविशति तीर्थंकरसमुच्चयपूजा, हीराचंद, नित्यनियम विशेष पूजन संग्रह, पृष्ठ ७३ ।
६. श्री खण्डनिरिक्षेत्रपूजा, मुसालाल, जैनपूजापाठ संग्रह, १५६ । ७. क्रमुक दाख वदाम अनारला, नरंगनीब्रूहि नामह धोफला ।
- श्री तत्वार्थसूत्र पूजा, भगवानदास, जैनपूजापाठ संग्रह, पृष्ठ ४१९ । ८. बृहत् हिन्दी कोश, पृष्ठ ६७३ ।
६. पंडित शिखरचंद जैनशास्त्री ने सत्यार्थयज्ञ के पृष्ठ ४८ पर 'श्री' पद्मप्रभु जिनपूजा' कृति की टिप्पणी में बातशत्रु को नीबू की संज्ञा दी है ।
१०. मीच दंतबीज वातशत्र ल्याम के घने ।
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- श्री पदमभुजिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थवज्ञ, पृष्ठ ४८ |
पृष्ठ २१ ।
११. श्री श्रेयांसनाथजिनपूजा, मनरंगलाल, सत्यार्थ
१२. चिरमट बाम पनस दाहिस से बाख कपित्थ बिचारें ।
- श्री धर्मनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, सत्या, पृष्ठ १०१।